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What Is Rule 267 In Hindi: रूल 267 क्या है? मणिपुर हिंसा से इसका क्या कनेक्शन है
रूल 267 क्या है: संसद में मणिपुर हिंसा का मुद्दा उठा, केंद्र सरकार भी विपक्ष की मांग पर चर्चा करने के लिए सहमत हो गई. जब सरकार चर्चा करने के लिए मान गई तो विपक्ष ने राज्य सभा में रूल 267 (Rule 267) का मुद्दा उठा दिया और मामला यहीं फंस गया. चेयरमैन ने रूल 267 वाले प्रस्ताव को ख़ारिज कर दिया, ट्रेजरी बेंच से भी विपक्ष से पुछा कि आखिर रूल 267 के तहत ही चर्चा क्यों करनी है? विपक्ष इसका जवाब नहीं दे पाया और बैठक स्थगित हो गई.
रूल 267 क्या है
What Is Rule 267: सीधा शब्दों में कहें तो रूल 267 के हिसाब से सदन में बाकी सारे काम छोड़कर सिर्फ उसी मुद्दे में चर्चा होती है जिसके लिए रूल 267 की मांग उठाई गई है. राजयसभा में इसे रूल 267 कहते हैं और लोकसभा में इसी तरह की चर्चा के लिए रूल 388 (Rule 388) कहा जाता है.
रूल 267 कब लागू होता है
राजयसभा के किसी सदस्य को रूल 267 के तहत चर्चा करने के लिए सबसे पहले सदन के जनरल सेक्रेटरी को नोटिस देना होता है. उस नोटिस में सेक्रेटरी सभापति से अनुमति लेता है. अगर इजाजत मिलती है तो Rule 267 के तहत उस खास मुद्दे पर चर्चा होती है और अगर ख़ारिज होता है तो चेयरमैन 267 के तहत चर्चा करने के लिए वोटिंग करा सकते हैं
रूल 267 के प्रावधान
सदन में काममाज की एक लिस्ट होती है. अगर किसी सदस्य को ऐसे मुद्दे में चर्चा करनी है जो इस लिस्ट में नहीं है तो वह चर्चा के लिए रूल 267 की मांग कर सकता है. जब रूल 267 अमल में लाया जाता है तो सदन के बाकी मुद्दों को छोड़कर सिर्फ उसी खास मुद्दे पर चर्चा होती है. फिर उसे मुद्दे की चर्चा को रोकने के लिए सारे प्रावधान निष्क्रीय हो जाते हैं
विपक्ष चाहता है कि देश के बाकी अहम मुद्दों को साइड में रख दिया जाए और सिर्फ और सिर्फ मणिपुर हिंसा पर बहस हो. जब सरकार कह रही है कि वो इस मामले में चर्चा करने के लिए तैयार है फिर भी विपक्ष रूल 267 की मांग कर रहा है. राज्य सभा सांसद राकेश सिन्हा का कहना है कि सरकार चर्चा के लिए तैयार है लेकिन इसके लिए बाकी मुद्दों को क्यों छोड़ दिया जाए?