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मिस्र की 1000 साल पुरानी अल-हाकिम मस्जिद की कहानी, पीएम मोदी यहां जाएंगे

Abhijeet Mishra | रीवा रियासत
25 Jun 2023 12:15 PM IST
Updated: 2023-06-25 06:32:05
मिस्र की 1000 साल पुरानी अल-हाकिम मस्जिद की कहानी, पीएम मोदी यहां जाएंगे
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पीएम मोदी इजिप्ट की 1000 साल पुरानी शिया मस्जिद Al-Hakim Mosque जाएंगे, इस मस्जिद का इतिहास बहुत पुराना है.

PM Modi Al-Hakim Mosque Egypt: पीएम मोदी जब अमेरिका यात्रा पर गए तो वहां की मुस्लिम संसद ने पीएम मोदी को भारतीय मुसलमानों का दमन करने का आरोप लगाया। पीएम मोदी की छवि को एंटी इस्लाम और एंटी मुस्लिम बताने का षडयत्रं रचा गया तो असफल रहा. पीएम मोदी अपने सेक्युलर होने की छवि को और बेदाग़ बनाने के लिए मिस्र की राजधानी काहिरा में मौजूद 1000 साल पुरानी शिया मस्जिद 'अल-हाकिम मस्जिद' (1000 years old Shia mosque 'Al-Hakim Masjid') जाएंगे।

काहिरा की अल हाकिम मस्जिद वही मस्जिद है जिसे 1980 में दाऊदी बोहरा मुस्लिम समुदाय ने रेनोवेट करवाया था. इस शिया मस्जिद का इतिहास काफी पुराना है. आइये 'Al-Hakim Masjid' के इतिहास के बारे में जानते हैं.

'अल-हाकिम मस्जिद' का इतिहास

History of 'Al-Hakim Mosque': इजिप्ट की राजधानी काहिरा के अल-फुतुह के बगल में पिछले 1000 साल से मौजूद 'Al-Hakim Mosque' की नीव साल 990 में फ़ातिम खलीफा अल-अजीज बी-इलाह निजार (Fatimid Caliph al-Aziz b-Ilah Nijar) ने रखी थी. जिसे साल 1013 में Fatimid Caliph al-Aziz b-Ilah Nijar के बेटे अल-हाकिम के शासन में पूरा किया गया था.

यह इजिप्ट के सबसे पुराने स्मारकों में से एक है. और इसे बनाने वाले अल हाकिम मिस्र पर राज करने वाले सबसे प्रसिद्द खलीफा थे. इस मस्जिद को जबल मशबिह के नाम से भी जाना जाता है.

साल 1302 में इजिप्ट में भीषण भूकंप आया था, जिससे यह जबल मशबिह बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई थी. बाद में सुल्तान कलावून ने इस मस्जिद का जीर्णोद्धार किया था. लेकिन इसके बाद इस मस्जिद का इस्तेमाल, जेल, अस्तबल, किले और भंडारगृह के रूप में किया जाने लगा था. इसका इस्तेमाल वाच टॉवर के रूप में भी होता था.

अल हाकिम मस्जिद ईंटों से बनी हुई है. जिसमे चार इवानों से घिरे आंगन हैं. आयातकार रूप से बने इस मस्जिद का आकर 120.78 मीटर x 113.01 मीटर है। मस्जिद के चारों ओर बने दीवार इसे बेहद आकर्षक और खूबसूरत बनाते हैं। इतना ही नहीं, मस्जिद के मीनारों के मेहराब को कूफीक लिपि से लिखकर सजाया गया है।

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