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National Girl child Day जानें क्यों मनाया जाता है ये दिन
बदलता भारत विकासशील देश से विकसित देश की ओर कदम बढ़ा रहा हैं। भारत में अधिकतर लोगों की सोच आज भी रूढ़ीवादी है। जो अपने घर में बेटी के जन्म को अशुभ मानते हैं, एवं पैदा होने पर शोक मनाते हैं और कभी-कभी तो गर्भ में ही मार दिया जाता है जो एक जघन्य पाप है। भारत सरकार (Indian government) ने रूढ़ीवादी सोच को कम करने एवं लड़कियों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए 2008 में एक पहल शुरू की जिसे 'राष्ट्रीय बालिका दिवस' के रूप में मनाया जाता है। आज हम आपको इस आर्टिकल में राष्ट्रीय बालिका दिवस से जुड़ी कुछ खास बातें बताएंगे।
राष्ट्रीय बालिका दिवस की शुरुआत (National Girl Child Day begins)
राष्ट्रीय बालिका दिवस (National Girl child Day) भारत में हर साल 24 जनवरी को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत महिला एवं बाल विकास भारत सरकार ने 2008 में की थी। लेकिन पहली बार 2009 में राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया गया। इस सुनहरे मौके पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। जिनमें सेव द गर्ल चाइल्ड (Save the girl child), चाइल्ड सेक्स रेशियों एवं बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, बालिकाओं के लिए स्वस्थ और सुरक्षित वातावरण बनाने के लिए जागरूकता अभियान आयोजित किए जाते हैं।
राष्ट्रीय बालिका दिवस इतिहास और महत्व (National Girl Child Day History and Significance)
24 जनवरी 1996 के दिन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) को नारी शक्ति के रूप में याद किया जाता है। इस दिन इंदिरा गांधी पहली बार प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला था और इंदिरा गांधी देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री (First woman prime minister) थी। जो भारतीय इतिहास में एक बेहद ही महत्वपूर्ण घटना थी, इसलिए इस दिन को राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाया जाता है।
राष्ट्रीय बालिका दिवस के दिन लोगों को समाज में लड़कियों के साथ होने वाले भेदभाव के बारे में जागरूक किया जाता है एवं बालिकाओं को अपने अधिकारों के बारे में बताया जाता है।
राष्ट्रीय बालिका दिवस 2022 की थीम (Theme of National Girl Child Day 2022)
हर साल राष्ट्रीय बालिका दिवस के दिन एक नई थीम जुड़ती है। वर्ष 2020 में बालिका दिवस की थीम (Theme of National Girl Child Day) 'मेरी आवाज, हमारा साझा भविष्य' थी। बालिका दिवस 2021 की थीम 'डिजिटल जेनरेशन, अवर जनरेशन' थी। वहीं साल 2022 की बालिका दिवस की थीम अभी तक घोषित नहीं की गई है।
भारत में हैं प्रतिकूल लिंगानुपात (India has unfavorable sex ratio)
भारत एक पुरुष प्रधान समाज है। जिसमें पितृसत्तात्मक मानसिकता होने के कारण एक लड़की को जन्म लेने से पहले ही अपने जीवन के लिए संघर्ष करना पड़ता है। भारत में कन्या भ्रूण हत्या (Female foeticide) को कम करने के लिए लिंग जांच को गैरकानूनी माना जाता है। फिर भी कई मामलों में पैसे लेकर लिंग जांच और कन्या भ्रूण हत्या जैसे जघन्य अपराध करते हैं। जिससे देश का लिंगानुपात प्रतिकूल (Unfavorable sex ratio) देखने को मिलता हैं।