General Knowledge

History Of Bhopal: भोपाल रियासत का भारत में विलय कैसे हुआ? पहले नवाबों की हुकूमत चलती थी, बाद में एमपी की राजधानी बना

Abhijeet Mishra | रीवा रियासत
6 Feb 2023 8:00 PM IST
Updated: 2023-02-06 14:30:22
History Of Bhopal: भोपाल रियासत का भारत में विलय कैसे हुआ? पहले नवाबों की हुकूमत चलती थी, बाद में एमपी की राजधानी बना
x
History Of Bhopal: भोपाल मध्य प्रदेश की राजधानी है, भोपाल को नबावों का शहर क्यों कहते हैं?

भोपाल रियासत का इतिहास: भोपाल मध्य प्रदेश की राजधानी है, लेकिन यह पहले सिर्फ एक शहर नहीं बल्कि अपने आप में एक रियासत हुआ करता था. भोपाल में नवाबों की हुकूमत चलती थी. देश आज़ाद हुआ तो रियासतों ने भी खुद को आज़ाद वतन बनाने का सपना देखना शुरू कर दिया, ऐसा सपना देखने वाले भोपाल के नवाब भी थे जो खुद को भारत से अलग रखना चाहते थे, खुशकिस्मती से ऐसा हो नहीं पाया और संयुक्त राष्ट्र भारत का निर्माण हुआ.

भोपाल रियासत के भारत में विलय की कहानी

इतिहासकार रामचंद्र गुहा की किताब 'इंडिया आफ्टर गांधी' में भोपाल के भारत में विलय की पूरी दास्तान लिखी हुई है. इस किताब में रामचंद्र गुहा ने लिखा है कि-

भोपाल रियासत में राज करने वाले नवाबों को जैसे यह मालूम हुआ कि ब्रिटिश देश छोड़कर जाने वाले हैं. उन्होंने नवंबर 1946 में ब्रिटिश हुकूमत के टॉप कमांडर को चिट्ठी लिखी और अपने लोगों की चिंता जाहिर की. मगर इस चिट्ठी का अंग्रेजों पर कोई असर नहीं हुआ. अंग्रेजों ने माउंटबेटन को भारत की जिम्मेदारी दी और सत्ता परिवर्तन की कार्रवाई पूरी करने को कहा. कुर्सी पर बैठते ही माउंटबेटन सक्रिय हो गए और उन्होंने वही किया जो उन्हें निर्देशित किया गया था.


1947 में आज़ादी मिलने के एक महीने पहले माउंटबेटन ने भोपाल के नवाब और अपने दोस्त हमीदुल्लाह खान को एक खत लिखा उन्होंने नवाब हाजी नवाब हाफिज सर हमीदुल्लाह खान को सलाह देते हुए कहा- उन्हें भारत के साथ अपनी रियासत का विलय कर देना चाहिए. इसी में उनकी और उनकी प्रजा की भलाई है. खत पढ़कर नवाब को भरोसा नहीं हुआ कि उनके दोस्त माउंटबेटन ने उनकी पसंद के विपरीत सुझाव दिया था.

माउंटबेटन से दोस्ती काम नहीं आई

भोपाल में राज करने वाले हाजी नवाब हाफिज सर हमीदुल्लाह खान माउंटबेटन के अच्छे दोस्त थे, मगर जब वो अपनी रियासत को भारत में विलय होने से बचाना चाहते थे और अपने दोस्त से मदद चाहते थे तो उन्होंने वही सुझाव दिया वो नवाब को कतई मंजूर नहीं था.


नवाब नाराज हो गए और माउंटबेटन को एक खत लिखते हुए उन घटनाओं का जिक्र किया जब उन्होंने ब्रिटिश हुकूमत का साथ दिया था. साथ ही नवाब ने गुस्सा जाहिर करते हुए साफ शब्दों में लिखा था कि अगर ब्रिटिश हुकूमत उसकी मदद नहीं करेगी तो भारत में कांग्रेस का नहीं बल्कि कम्युनिस्टों का राज होगा.


कहा जाता है कि हाजी नवाब हाफिज सर हमीदुल्लाह खान अपनी भोपाल रियासत का विलय भारत में इसी लिए नहीं चाहते थे क्योंकि उन्हें कांग्रेस और कांग्रेस के लोग पसंद नहीं थे. इसी लिए उन्होंने ब्रिटिशों से कहा था कि मैं किसी देश से अपनी रियासत का विलय नहीं चाहता हूं मैं एक स्वतंत्र रियासत चाहता हूं. नवाब ने कई कोशिशे कि, अंग्रेजों से बैर भी कर ली, माउंटबेटन से दोस्ती टूट गई मगर जो वो चाहते थे ऐसा हो न सका.

26 अगस्त को विलय की सहमति बनी

देश आज़ाद हो चुका था, लेकिन भोपाल के नवाब अपनी जिद में अड़े हुए थे. 15 अगस्त को भोपाल समेत हर एक रियासत को उस कागज पर हस्ताक्षर करने थे, जिसमें भारत के साथ उनकी रियासत के विलय की बात लिखी थी. भोपाल के नवाब ने अपनी बुद्धि लगाई और विलय का निर्णय लेने के लिए 10 दिन का समय मांगा। लेकिन सरदार वल्लभ भाई पटेल उन्हें एक दिन की भी मोहलत नहीं देना चाहते थे. बाद में माउंटबेटन ने इसका तोड़ निकाला और भोपाल के नवाब से कहा था कि आप 14 अगस्त तक हस्ताक्षर कर दीजिए. बाकी कागज हम पंडित नेहरू के नेत़त्व वाली भारत सरकार को 26 अगस्त 1947 को ही देंगे.

आज़ादी के 2 साल बाद तक भोपाल में तिरंगा नहीं फहरा

भले ही नवाब ने भोपाल रियासत के भारत में विलय होने वाले समझौते में हस्ताक्षकर कर दिए थे मगर वो हर हाल में अपनी रियासत को स्वतंत्र बनाने में जुटे हुए थे. 26 अगस्त 1947 को उसने भारत में शामिल होने का ऐलान कर दिया था, बावजूद इसके उसने अगले करीब दो साल तक भोपाल में भारत का तिरंगा नहीं फहराने दिया.

फिर भोपाल की जनता की नवाब के खिलाफ हो गई

भोपाल का नवाब भोपाल रियासत को स्वतंत्र बनाने में जद्दोजहत करता रहा, मगर सरदार वल्लभ भाई पटेल के आगे उसकी एक न चली. अंत में भोपाल की जनता ही नवाब के खिलाफ एकजुट हो गई. दिसंबर 1948 में नवाब के खिलाफ भोपाल में एक जनआंदोलन शुरू हुआ था, जिसकी अगुवाई शंकरदयाल शर्मा, भाई रतन कुमार गुप्ता जैसे नेताओं ने की. नवाब के लोगों ने इस आंदोलन को कुचलने की खूब कोशिश की.

1949 में भोपाल भारत से जुड़ा

भोपाल में विद्रोह बढ़ता गया, नवाब ने आंदोलन करने वालों को मरवाना शुरू कर दिया। हालत बिगड़ते देख सरदार पटेल ने वीपी मेनन (सचिव, रियासत विभाग) को भोपाल भेजा और नवाब से बात करने को कहा. वीपी मेनन ने इस काम को बखूबी निभाया और नवाब को झुकना ही पड़ा था. इस तरह 1 जून 1949 तक यह रियासत आधिकारिक रूप से भारत में शामिल हुई और भोपाल में भारतीय तिरंगा लहराया गया था.


1956 में भारत के 11 राज्यों का पुनर्गठन हुआ, तबतक मध्य प्रदेश जैसा कोई राज्य नहीं हुआ करता था. अंग्रेजों का बनाया सेंट्रल बराज हुआ करता था. जब मध्य प्रदेश की स्थपना हुई तो भोपाल को इसकी राजधानी बना दिया गया.

फैक्ट- भोपाल के आखिरी नवाब हाजी नवाब हाफिज सर हमीदुल्लाह खान बॉलीवुड एक्टर सैफ अली खान के नाना थे


Abhijeet Mishra | रीवा रियासत

Abhijeet Mishra | रीवा रियासत

    Next Story