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History Of Bajrang Dal: कैसे, कब और क्यों हुआ था बजरंग दल का गठन? कांग्रेस की बजरंगियों से ये दुश्मनी पुरानी है

Abhijeet Mishra | रीवा रियासत
3 May 2023 5:37 PM IST
Updated: 2023-05-03 12:16:24
History Of Bajrang Dal: कैसे, कब और क्यों हुआ था बजरंग दल का गठन? कांग्रेस की बजरंगियों से ये दुश्मनी पुरानी है
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History Of Bajrang Dal/ बजरंग दल का इतिहास: कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में (Karnataka Election Congress Manifesto) में बजरंग दल को बैन करने का वादा किया है

Story Of Formation Of Bajrang Dal/ बजरंग दल के गठन की कहानी: कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023 में मुस्लिम वोटबैंक हासिल करने के लिए कांग्रेस ने हिंदूवादी संगठन 'बजरंग दल' को बैन करने का वादा किया है. कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में कहा है कि अगर राज्य में हमारी सरकार बनती है तो Bajrang Dal को बैन कर दिया जाएगा। कांग्रेस पार्टी ने ना सिर्फ निस्वार्थ सेवा करने वाले संगठन पर प्रतिबंध लगाने की बात कही, बल्कि बजरंग दल की तुलना इस्लामिक कट्टरपंथी/चरमपंथी संगठन PFI से कर दी जो कई सालों से Mission Islam India 2047 जैसे जिहादी एजेंडे पर काम कर रहा था.

खैर कांग्रेस का यह दांव उसी पर भारी पड़ गया. अपना मेनिफेस्टो रिलीज करने से पहले पार्टी को कर्नाटक के इतिहास के बारे में पढ़ लेना था. क्योंकी जिनके नाम पर बजरंग दल का गठन हुआ हैं उनका जन्म कर्नाटक में ही हुआ था. माना जाता है कि श्री राम के परम भक्त भगवान हनुमान का जन्म कर्नाटक राज्य में मौजूद हंपी के अंजनाद्रि पर्वत (Anjanadri Hill) श्रृंखला में हुआ था. बजरंग दल का प्रभाव ना सिर्फ उत्तर-मध्य भारत में है बल्कि दक्षिणी राज्यों में भी यह राष्ट्रवादी संगठन उतना ही प्रभावशील है. कर्नाटक की जनता बजरंगबली और बजरंगदल दोनों को परस्पर तवज्जो देती है. कांग्रेस और बजरंगदल की दुश्मनी पुरानी है, आज कांग्रेस सरकार बनने के बाद कर्नाटक में बजरंगदल को बैन करने की बात कह रही है लेकिन आज से 31 साल पहले जब कांग्रेस केंद्र में थी तब उसने पूरे देश में बजरंगियों की सेना को प्रतिबंधित कर दिया था. कांग्रेस ने बजरंगदल को बैन क्यों किया था? यह जानने से पहले हम बजरंग दल के गठन और इसके इतिहास को समझेंगे

बजरंगदल का इतिहास

बजरंगदल का गठन कब हुआ/ When Bajrang Dal Was Formed: यह बात आज से 39 साल पहले की है. हिंदू संगठन और सनातनी संत रामजन्मभूमि की लड़ाई लड़ रहे थे. पूरे देश के हिन्दुओं को श्री राम मंदिर निर्माण के लिए जागरूक करने के लिए अयोध्या से संतों की यात्रा निकाली जा रही थी. यात्रा भगवान के कार्य के लिए थी इसी लिए राह में विघ्न पैदा करने वाले राक्षसों की फ़ौज भी तैयार थी.


तब उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी और मुख्य मंत्री श्रीपति मिश्रा थे. संतों ने सुरक्षा के लिए यूपी सरकार से मदद मांगी थी. लेकिन कोंग्रेसी सीएम ने सनातनी संतों को सुरक्षा देने से साफ़ इनकार कर दिया था.

उधर इस यात्रा पर हमला करने वाले लोग घात लगाए बैठे थे. हाथ में कमंडल लिए संत कैसे उन तलवारधारियों और पत्थरबाजों से मुकाबला करते? लेकिन यात्रा हर हाल में शुरू होनी थी. जब यूपी सरकार ने सुरक्षा देने से मना किया तो संतों ने यात्रा में साथ चल रहे युवाओं से आह्वान किया कि वे इस यात्रा की सुरक्षा की जिम्मेदारी उठाएं।

संतों ने कहा ''जिस प्रकार श्री राम के लिए भगवान हनुमान सदा उपस्थित रहते थे उसी प्रकार आज के युग में श्री राम के कार्य के लिए बजरंगियों की टोली मौजूद रहे''

संतों की यात्रा को सुरक्षा देने के मकसद से 8 अक्टूबर 1984 को बजरंग दल की स्थापना हुई थी. जिसने सर्वपर्थम श्री राम जी की यात्रा में सुरक्षा प्रदान की थी.

बजरंग दल का गठन किसने किया?


Founder Of Bajrang Dal: बजरंग दल संगठन को शुरू करने के लिए हिन्दू जागरण मंच के संस्थापक विनय कटियार (Vinay Katiyar) को चुना गया था. 11 नवंबर 1954 को कानपुर में जन्में विनय कटियार 1970 से ही ABVP और RSS से जुड़ गए थे. 1974 में वह जय प्रकाश नयारण के बिहार आंदोलन के संयोजक और 1980 में RSS के प्रचारक बने थे. 1982 में उन्होंने हिन्दू जागरण मंच की स्थापना की थी. 1984 में उन्हें बजरंग दल का संस्थापक और अध्यक्ष चुना गया था.

बजरंग दल की विचारधारा

Ideology Of Bajrang Dal: तब बजरंग दल का एक ही मकसद था. राम मंदिर के लिए आंदोलन करने वाले लोगों की सुरक्षा करना। बजरंग दल धीरे-धीरे पूरे भारत में फ़ैल गया. हिन्दू युवा इससे जुड़ने लगे और यह राष्ट्रीय राष्ट्रवादी/हिंदुवानी संगठन बन गया. जो शांत नहीं पर उग्र था. बजरंग दल संगठन का जन्म किसी के विरोध के लिए नहीं बल्कि हिन्दुओं की आस्था को चुनौती देने वाले असामाजिक तत्वों से रक्षा करने के लिए हुआ था. बजरंग दल का सूत्रवाक्य 'सेवा, संस्कृति और सुरक्षा' है.

बजरंग दल पर कांग्रेस ने बैन क्यों लगाया था?

Why did Congress ban Bajrang Dal: बात 1992 की है, तब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी और प्रधान मंत्री नरसिम्हा राव थे. वही नरसिम्हा राव जिन्होंने 'Places Of Worship Act' लागू करके हिन्दुओं से उनके प्राचीन मंदिरों से उनका हक़ छीन लिया था.


जब 1992 में कारसेवकों ने श्री राम जन्म भूमि में बने उस विवादित ढांचे को ढहा दिया था तब देश भर के हिन्दू जश्न मना रहे थे मगर कांग्रेस विधवा विलाप कर रही थी. बाबरी विध्वसं के बाद मुस्लिम उग्र होने लगे थे. देश में सांप्रदायिक दंगे होने का माहौल था. मुस्लिमों को सहानभूति देने के लिए नरसिम्हा राव की सरकार ने 5 संगठनों को बैन कर दिया था जिसमे से एक बजरंग दल था. मामला कोर्ट गया और केंद्र सरकार यह साबित नहीं कर पाई कि बाबरी विध्वंस में बजरंग दल भी था. जिसके बाद 1993 में सरकार को प्रतिबंध हटाना पड़ा.

  • वो दिन और आज का दिन, बजरंग दल देश के सबसे बड़े सामाजिक संगठनों में से एक है. जिसके पूरे देश में 27 लाख से अधिक सदस्य हैं और 25000 से ज़्यादा अखाड़े हैं.
  • सिर्फ कर्नाटक की बात करें तो यहां 38 हजार सदस्य हैं और साढ़े चार हजार अखाड़े हैं. जो हिन्दुओं के धर्मांतरण और लव जिहाद के खिलाफ कैम्पेन चलाता है.

हर्षा की हत्या को भूली नहीं है कर्नाटक की जनता


कांग्रेस ने कर्नाटक में जाकर 12.92% मुस्लिम और 1.87% की आबादी वाले ईसाईयों को खुश करने के लिए 84% पॉपुलेशन वाले हिन्दुओं को नाराज कर दिया है. जहां बजरंगबली का जन्म हुआ उसी भूमि से बजरंगियों की सेना को बैन करने की बात कहकर पार्टी ने अपना पूरा खेल ख़राब कर दिया था.

पिछले साल कट्टरपथिंयों ने हर्षा नाम के 28 साल के बजरंग दल कार्यकर्ता की बेहरमी से हत्या कर दी थी. हर्षा हत्याकांड से आज भी कर्नाटक के हिन्दू नाराज हैं. हिजाब विवाद भी यहीं से शुरू हुआ था और इसी विवाद के चलते हर्षा की हत्या हुई थी

बजरंगदल मॉरल पुलिसिंग करने लगा

बीते कुछ वर्षों में बजरंगदल की छवि ख़राब हुई है. जिसकी वजह है इस संगठन से जुड़े कुछ कार्यकर्ताओं की छोटी मानसिकता। कपल्स को परेशान करना, वेलेंटाइन डे पर कपल्स को पीटना, उनकी जबरन शादी करा देना। कहीं न कहीं बजरंगदल को अपनी मूल विचारधारा से भटका देता है. और यही बदनामी का कारण है. जिन्होंने सुरक्षा का जिम्मा उठाया था उसकी की हरकतों के कारण लोग दहशत खाने लगे. बजरंग दल राम सेवकों और हिन्दुओं की रक्षा करने की बजाय लोगों को नैतिकता का पाठ पढ़ाने निकल पड़ी. मॉर्डन लोगों की सोच और बजरंगदल की विचारधारा इसी लिए मेल नहीं खाती हैं.




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