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शाहरुख खान के बेटे के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंची शिवसेना, आर्यन ने NCB से कहा- 'अच्छा नागरिक बनकर देश की सेवा करूंगा'
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Cruise Drug Case: बॉलीवुड के सुपरस्टार शाहरुख खान और उनके परिवार के लिए ये दिन बेहद ख़राब दिन हैं. उनका बेटा आर्यन खान (Aryan Khan) क्रूज ड्रग केस (Cruise Drug Case) में जेल में है. 2 अक्टूबर को NCB ने आर्यन खान को गिरफ्तार किया था. लेकिन अब तक उन्हें जमानत नहीं मिल पाई है. अब इसे लेकर शिवसेना सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है.
आर्यन के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंची शिवसेना
क्रूज ड्रग मामले में 17 दिनों से जेल में बंद शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान के लिए शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का दरवाजा खटखटाया है. राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त किशोर तिवारी ने संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. उन्होंने सीजेआई एनवी रमण से इस मामले में 'सर्वोच्च प्राथमिकता' के आधार पर हस्तक्षेप करने का आग्रह किया. उन्होंने कहा, पिछले लगभग दो वर्षों से 'दुर्भावनापूर्ण उद्देश्यों' के साथ NCB पक्षपात रवैया अपना रहा है और फिल्मी हस्तियों, मॉडलों व अन्य सेलिब्रिटी को परेशान कर रहा है.
अनुच्छेद 32 के तहत, सुप्रीम कोर्ट और CJI मौलिक अधिकारों के उल्लंघन से संबंधित हर मामले का संज्ञान लेने के लिए बाध्य हैं, जैसा कि संविधान के भाग तीन के तहत गारंटी दी गई है, जिसका एनसीबी उल्लंघन कर रहा है.
उन्होंने कहा, विशेष NDPS कोर्ट (मुंबई) द्वारा आर्यन खान और अन्य आरोपियों की जमानत याचिका पर फैसला 20 अक्तूबर तक सार्वजनिक अवकाश का हवाला देते हुए टालने से आरोपी का बड़ा अपमान हुआ है. आर्यन खान को अलोकतांत्रिक व अवैध रूप से जेल में 17 रातों के लिए रखा गया. यह संविधान में निहित जीवन और स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार की पूरी तरह से अवहेलना है.
अच्छा नागरिक बनकर देश की सेवा करूंगा : आर्यन खान
क्रूज ड्रग्स पार्टी मामले में गिरफ्तार आर्यन खान ने सोमवार को जेल में काउंसिलिंग के दौरान कहा कि वह अच्छा नागरिक बनेगा और देश की सेवा करेगा. एनसीबी मुंबई के क्षेत्रीय निदेशक समीर वानखेडे़ ने खुद आर्यन की काउंसिलिंग की और उसे नशे से दूर रहने की सलाह भी दी गई.
वानखेडे सभी आरोपियों को गिरफ्तार करने के बाद उनकी काउंसिलिंग करते हैं. कस्टडी के दौरान यह काउंसिलिंग रोजाना दो से तीन घंटे की जाती है. इसमें मुंबई के इस्कॉन मंदिर के पुजारी या मौलाना और दूसरे विद्वानों के साथ गैरसरकारी संस्थाओं की मदद ली जाती है.