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किसान आंदोलन : MSP पर टिकैत का बड़ा बयान, 1 तोला सोने के बराबर 3 क्विंटल गेहूं, पहले यही रेट था, आज भी करे सरकार...
किसान आंदोलन : MSP पर टिकैत का बड़ा बयान, 1 तोला सोने के बराबर 3 क्विंटल गेहूं, पहले यही रेट था, आज भी करे सरकार…
नई दिल्ली। किसान आंदोलन के बीच किसान नेता राकेश टिकैत ने एक बड़ा बयान दिया है। जिसे सुनने के बाद बडे़-बाड़ों के कान सन्न पड़ जायंेगे। तो वहीं इस बयान का जवाब न तो देश के अर्थशास्त्री दे पायेंगे और न ही देश के किसान हितैशी नेताओं के पास ही होगा।
वहीं राकेश टिकैत ने अपने बयान को पुष्ट करने के लिए जो तर्क दिये वह और भी ज्यादा चैंकाने वाले हैं। आइये हम आपको बताने का प्रयास करते है कि किसान नेता रोकेश टिकैत ने एक टीवी न्यूज को दिये इंटरब्यू में क्या कहा।
गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में हुए उपद्रव के बाद माना जा रहा था कि किसान आंदोलन अब समाप्त हो जायेगा। लेकिन राकेश टिकैत डटे रहे। आज सबसे बडे किसान नेता के रूप में देश का किसान उनकी ओर देखा रहा है।
ऐसे में राकेश टिकैत ने एक इंटरब्यू में कहा कि हमें याद रखना चाहिए कि एक समय वह भी था जब 1 तोला सोना के बराबर 3 क्विंटल गेहूं हुआ करता था। उस समय का किसान अपना 3 क्ंिवंटल गेहूं बेचकर एक तोला सोना खरीद लेता था। लेकिन क्या आज वह स्थिति है। आज 1 तोला सोना में 25 क्विंटल गेहूं मिल रहा हैं। ऐसे में समझने की जरूरत है कि जिस तरह सोने की कीमत बढी उस दर से गेंहूं की कीमत नहीं बढी। यही किसानों के गरीब और असहाय होने का सबसे बड़ा कारण हैं।
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राकेश टिकैत ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि 3 क्विंटल गेहूं की कीमत 1 तोले (10 ग्राम) सोने के बराबर कर दी जाए। सरकार के ऐसा करते ही किसानो ंकी सारी समस्या का समाधान हो जायेगा। फिर इस तरह किसान आंदोलन की कोई जरूरत नहीं पडेंगी।
राकेश टिकैत ने एमएसपी के लिए कहा कि महेन्द्र टिकैत का फार्मूला सरकार लागू करे। उन्होने पूरे देश के सामने एक सत्य रखा है। टिकैत ने महेन्द्र फार्मूले के सम्बंध में बताया कि 1967 में भारत सरकार ने एमएसपी तय किया जिसमें गेंहू की कीमत 76 रुपये 1 क्विंटल थी। स्कूल के शिक्षक की सैलरी 70 रूपये। तथा सोना 200 रूपया में 1 तोला।
यह सब राकेश टिकैत के बताने का मतलब है कि सन 1967 में 1 तोला सोना से मात्र 3 क्विंटल गेहूं खरीद सकते थंे। वह शिक्षक अपनी एक माह की सैलरी से 1 क्विंटल गेहूं नही खरीद सकता था। लेकिन हालात आज इसके विपरीत है। आखिर इसका जवाबदार कौन हैं। अगर उत्पादन बढा तो खाने वाले भी बढें है।
किसानों के गरीब होने का यही कारण है कि एमएसपी जिसका निर्धारण सरकार करती है, वह किसान के गेहूं और सोने के बीच के बढते अंतर को कम नही कर पाई।
गरीब और गरीब होता गया तो वही अमीर और अधिक अमीर होता गया। राकेश टिकैत ने खुले शब्दो मे ंकहा कि आज एक तोला सोना की जो कीमत हो उतनी ही तीन क्विंटल गेहूं की कीमत कर दी जाय।
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