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छतरपुर: एक मजदूर के बेटे ने ठानी डाक्टर बनने की जिद, जानिये सच
छतरपुर। छतरपुर जिले के एक छोटे से गांव के मजदूर ने ऐसी जिद की जो सबके लिए मिशाल बन गई है। अपनी मेहनत, समर्पण और लगन से एक मजदूर के बेटे ने अपनी जिद को पूरा किया है। यह कहानी लगती तो फिल्म जैसी है लेकिन हकीकत है।
मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के छोटे से गांव कुडलिया के पन्नालाल अहिरवार ने परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने के बाद भी मेडिकल की परीक्षा पास की और उसका मेडिकल कालेज में एडमीशन हो गया। पन्नालाल बचपन से पढ़ाई में तेज था। लेकिन गरीबी के कारण वह मेडिकल कालेज तक पहंुचेगा उसने नहीं सोचा था। लेकिन उसने संघर्ष नहीं छोड़ा जो सबके लिए मिशाल बन गया।
दरअसल पन्नालाल ने डाक्टर बनने की ठान ली थी। उसका सबसे बड़ा पिता और दादा की बीमारी थी। पन्नालाल ने बताया कि उसके पिता कटोरा अहिरवार मजदूरी करते हैं।
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मां मकुलिया अहिरवार बीड़ी बनाने का काम करती हैं। पिता को दस साल पहले टीबी हो गई थी और उसी समय उसके दादाजी की किडनी खराब हो गई। घर आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी कि दादाजी की किडनी बदलवा सकें। जिनकी कुछ समय बाद मौत हो गई। हालांकि पन्नालाल का टीबी रोग इलाज के बाद ठीक हो गया। उस समय पन्नालाल छठवी कक्षा में पढ़ता था। उसी समय उसने ठाना कि वह डाक्टर बनकर लोगों की सेवा करेगा।
पन्नालाल ने दसवीं की परीक्षा भंगवा हाईस्कूल से पास की। उसके बाद सरकार की सुपर 100 योजना में 88.83 प्रतिशत नंबर के साथ शामिल हुआ। उसने 11वीं और 12वीं की पढ़ाई भोपाल से की।
उसने नीट की परीक्षा दी लेकिन चयन नहीं हो पाया। फिर वह मेडिकल नीट की परीक्षा दी। जिसमें वह 720 अंक में से 501 अंक प्राप्त किये। उसे मेडिकल कालेज में एडमीशन की फीस 40 हजार जमा करने के लिये नहीं थे तो उसने दसवीं के शिक्षक जीवन लाल जैन से 10 हजार रुपये उधार लिये और गांव वालों से ब्याज में कर्जा लेकर फीस जमा किया।
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उसे शासकीय सुभाषचंद्र बोस मेडिकल काॅलेज जबलपुर में एडमीशन मिला। वह मेडिकल कालेज की पढ़ाई के लिए बैंक से एजुकेशन लोन के आवेदन किया है और पढ़ाई कर रहा है।