छतरपुर

MP News: त्रिनेत्रधारी व तीन सींग वाले नंदी महाराज को मंदिर परिसर में दी समाधि

Sanjay Patel
19 Nov 2022 4:56 PM IST
MP News: त्रिनेत्रधारी व तीन सींग वाले नंदी महाराज को मंदिर परिसर में दी समाधि
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त्रिनेत्रधारी और तीन सींग वाले नंदी महाराज के देह त्यागने की जानकारी मिलते ही उनके अंतिम दर्शन के लिए जन सैलाब उमड़ पड़ा। उनके अंतिम दर्शन के लिए छतरपुर के साथ पड़ोसी राज्यों से लगभग हजारों की संख्या में भक्त पहुंचे।

MP Chhatarpur News: त्रिनेत्रधारी और तीन सींग वाले नंदी महाराज के देह त्यागने की जानकारी मिलते ही उनके अंतिम दर्शन के लिए जन सैलाब उमड़ पड़ा। उनके अंतिम दर्शन के लिए छतरपुर के साथ पड़ोसी राज्यों से लगभग हजारों की संख्या में भक्त पहुंचे। छतरपुर में जटाशंकर धाम के प्रसिद्ध तीन आंखों और तीन सींगों वाले नंदी महाराज को अंतिम विदाई दी गई। मंदिर परिसर में जहां उनका निवास था, उसी स्थान पर गड्ढा खोदकर उन्हें दफनाया गया। वैदिक रीति-रिवाज और मंत्रोच्चार के साथ उन्हें समाधि दी गई। उनकी याद में शहर के बाजार भी बंद रहे।

15 वर्ष पहले आए थे जटाशंकर धाम

लोकन्यास धाम के अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल के मुताबिक श्री जटाशंकर धाम में नंदी बाबा करीब 15 साल पहले विचरण करते हुए संयोगवश आ गए थे। 6 वर्ष की आयु में वह यहां पर आए थे। तब से वह यहीं पर रहते थे। बताया गया है कि जो भी भक्त जटाशंकर धाम में दर्शन के लिए पहुंचता था वह नंदी महाराज का दर्शन अवश्य किया करता था। उनके रहने की व्यवस्था मंदिर परिसर में ही गई थी। यहां आने के लगभग 21 साल बाद उन्होंने अपनी देह त्याग दी। ललाट पर तीसरे नेत्र का निशान और तीन सींग होने के चलते वह हमेशा लोगों के लिए आकर्षण का केन्द्र बने रहते थे। उनके देह त्यागने की खबर से यहां लोगों का तांता लग गया। उनको अंतिम विदाई देने के लिए छतरपुर के अलावा मालवा, विंध्य, बुंदेलखंड के साथ पड़ोसी राज्यों से भक्त पहुंचे।

स्मृति में बनेगा नंदी मंदिर

मंदिर समिति की मानें तो अब यहां तकरीबन 2 लाख रुपए से उनकी प्रतिमा स्थापित करवाई जाएगी। यहां पर एक नंदी मंदिर भी बनवाया जाएगा। यह संभवतः प्रदेश और देश का पहला नंदी मंदिर होगा। यहां भव्य मंदिर में नंदी बाबा की हूबहू प्रतिमा लगाई जाएगी। उनको अंतिम विदाई दने के साथ ही प्रतिमा बनाने का काम भी प्रारंभ करवा दिया गया है। बताया गया है कि प्रतिमा को आकर्षक और हाईटेक रूप दिया जाएगा ताकि लोग अपनी बात नंदी महाराज के कान में कहकर श्री जटाशंकर भगवान तक पहुंचा सकें।

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