हिंदू लड़की से शादी करने के लिए बदला धर्म, अब पत्नी को पाने कोर्ट पहुंचा पति
छत्तीसगढ़ में प्रेम-विवाह का एक मामला तूल पकड़ने के बाद पहले हाईकोर्ट और अब सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा है, जिसमें मुस्लिम युवक ने हिन्दू लड़की से शादी करने के लिए अपनी तमाम धार्मिक मान्यताओं को तोड़ते हुए धर्म बदला. अब युवक का आरोप है कि पति-पत्नी को अलग करने उसके ससुरालवालों ने उसकी पत्नी को बंधक बना लिया है.
जानकारी के मुताबिक, फरवरी 2018 में इब्राहिम ने हिन्दू धर्म स्वीकार करते हुए रायपुर के आर्य समाज मंदिर में 22 वर्षीय अंजलि जैन से शादी की थी. मैरिज सर्टिफिकेट में उसका नाम आर्यन आर्य दर्ज किया गया. आर्यन के मुताबिक शादी के कुछ दिनों तक दोनों बेफिक्री से रहे, लेकिन इसी बीच अंजलि के माता-पिता को इस शादी की जानकारी लग गई. एक दिन उन्होंने बहाने से अंजलि को अपने घर बुलाया और फिर उसे अपने ससुराल वापस नहीं लौटने दिया. पीड़ित पति का आरोप है कि अंजलि के परिजनों ने उसे अपने कब्जे में लेकर अज्ञात जगह रखा है.
बिलासपुर हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस अजय कुमार त्रिपाठी और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की ज्वाइंट बेंच ने 30 जुलाई को अपना फैसला दिया. जिसमें कहा कि अदालत में उपस्थित होकर अंजलि जैन ने आर्यन आर्य के आरोपों को ख़ारिज करते हुए कहा है कि उसके माता पिता ने उसे अवैध तरीके से रोककर नहीं रखा है.
अंजलि के मुताबिक उसके परिवार को मुस्लिम युवक इब्राहिम से शादी को लेकर सख्त ऐतराज है. अदालत ने यह भी कहा कि ऐसी स्थिति में इब्राहिम उर्फ़ आर्यन आर्य के साथ रहने के बारे में किसी नतीजे पर हुंचने के लिए अंजलि को कुछ वक्त दिया जाना चाहिए. इसलिए अदालत अंजलि को इब्राहिम के साथ रहने के लिए अभी कोई आदेश नहीं दे सकती.
अदालत ने यह फैसला अंजलि पर छोड़ा कि वह या तो अपने माता-पिता के साथ रह सकती है या फिर बिलासपुर के किसी सरकारी गर्ल्स हॉस्टल में रहे. अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि हॉस्टल में रहने के दौरान इब्राहिम और लड़की के माता-पिता अगर चाहे तो हफ्ते में तीन दिन अंजलि से मिल सकते है.
अदालत ने इसके लिए दोपहर साढ़े तीन बजे से लेकर साढ़े पांच बजे तक का समय तय किया. साथ ही अदालत ने इस मुलाकात के लिए हॉस्टल वार्डन की अनुमति अनिवार्य कर दी है.
बताया जाता है कि बिलासपुर के सरकारी गर्ल्स हॉस्टल में अंजलि 30 जुलाई से लेकर 6 अगस्त तक रही. 6 अगस्त की शाम अंजलि के पिता की उससे मुलाकात हुई. इसके करीब दो-तीन घंटे बाद अंजलि की तबियत ख़राब हुई. उसे बिलासपुर के सिम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया. इसी रात अंजलि के परिजनों ने उसके ख़राब स्वास्थ और इलाज की जानकारी बिलासपुर के सिविल लाइन थाने में बतौर सूचना दर्ज कराई. इसके बाद अंजलि का अभी तक कोई अता-पता नहीं है.
इब्राहिम उर्फ आर्यन आर्य का आरोप है कि अंजलि को पागल करार देकर उसके परिजन अपने कब्जे में रखना चाहते हैं. 6 अगस्त को अंजलि के पिता ने उसे समोसे में ऐसी कोई दवा दी जिससे उसकी हालत बिगड़ गई. उसे साजिश के तहत पहले अस्पताल में भर्ती किया गया. फिर वहां से रायपुर में मानसिक रोगियों के अस्पताल धन्वंतरी में शिफ्ट किया गया.
साथ ही आरोप है कि अंजलि के परिवार का दवाइयों का कारोबार है. लिहाजा उन्होंने अंजलि को कोई ऐसी दवाई दी है, जिससे वो मानसिक रोगियों की तरह नजर आए.
आर्यन आर्य ने अपने वकील के जरिए सुप्रीम कोर्ट में बिलासपुर हाईकोर्ट के 30 जुलाई के फैसले को चुनौती दी है. इसमें कहा गया है कि अदालत ने आर्यन की पत्नी अंजलि को अपने पति के साथ रहने से रोका है. इस याचिका में यह भी कहा गया है कि हाईकोर्ट ने इस मामले में हादिया केस में हुए फैसले का पालन नहीं किया है.
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की प्राथमिक सुनवाई के बाद 27 अगस्त को अंजलि को अदालत में पेश करने के निर्देश दिए हैं. इस बारे में धमतरी पुलिस अधीक्षक और जिला मजिस्ट्रेट को नोटिस भी जारी किया गया है.
आर्यन आर्य के वकील साजिद खान के मुताबिक, बिलासपुर हाईकोर्ट ने दोनों की शादी की वैधता पर कोई आपत्ति नहीं की है. उनके मुताबिक दोनों के बालिग होने, इब्राहिम के हिन्दू धर्म स्वीकार करने और आर्य समाज मंदिर में हुई शादी के प्रमाण पत्र और तस्वीरें कोर्ट में पेश कर दी गई हैं. अब 27 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई होगी.