छग में तीन बार 40-50 फीसद नए चेहरों संग चुनावी रण में उतर रही BJP, चौथी बार की तैयारी
छत्तीसगढ़ की सत्ता पर भाजपा लगातार 15 साल से काबिज है। वह भी पूर्ण बहुमत के साथ। 90 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 46 का है। सदन में हर बार भाजपा का संख्या बल 49 से 50 के बीच रहता है। यानी बहुमत से ज्यादा।
सत्ता हासिल करने के लिए पार्टी न केवल सरकार की नीति और कार्यो को भुनाती है और तगड़ा बूथ मैनेजमेंट भी करती है। इतना ही नहीं प्रत्याशी चयन में भी सतर्कता बरतती है। पार्टी पूरी दमदारी से टिकट काटती है। सिटिंग एमएलए का टिकट काटने में भी पार्टी गुरेज नहीं करती। बीते तीन चुनावों में भाजपा हर बार 40 से 50 फीसद नए चेहरों के साथ चुनावी रण में उतरती रही है और हर बार उसकी यह रणनीति कारगर साबित होती रही।
तीन विधानसभा चुनावों में खिला कमल
वर्ष 2003: शून्य से शिखरनवंबर 2000 में जब छत्तीसगढ़ अस्तित्व में आया तब सदन में भाजपा के 36 विधायक थे, लेकिन 2003 का चुनाव आने तक केवल 22 रह गए। पार्टी के मरवाही से विधायक राम दयाल उइके ने तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी के लिए सीट छोड़ दी। इसके बाद 12 विधायक दलबदल कर कांग्रेस के साथ चले गए। एक विधायक को असंबद्ध कर दिया गया।