एट्रोसिटी एक्ट को लेकर लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कही ये बड़ी बात, जरुर पढ़ें...
इंदौर: अनुसूचित जाति-जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम में संशोधनों पर अनारक्षित समुदाय के आक्रोश के बीच लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने गुरुवार को कहा कि इन कानूनी बदलावों को लेकर राजनीति नहीं की जा सकती और सभी सियासी दलों को इस विषय में मिलकर विचार-विमर्श करना चाहिए. लोकसभा अध्यक्ष ने इस कानून में संशोधनों का जिक्र करते हुए इंदौर में बीजेपी के व्यापारी प्रकोष्ठ के कार्यक्रम में कहा, "सभी राजनीतिक दलों को इस विषय में मिलकर विचार-विमर्श करना चाहिए. इस मुद्दे पर राजनीति नहीं की जा सकती, क्योंकि कानून का मूल स्वरूप बरकरार रखने के लिये संसद में सभी पार्टियों ने मतदान किया था."
सुमित्रा महाजन ने कहानी के जरिए रखी अपनी बात उन्होंने कहा, "कानून तो संसद को बनाना है, लेकिन सभी सांसदों को मिलकर इस विषय (अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निरोधक अधिनियम में किये गये संशोधन) में सोचना चाहिए. इस विचार-विमर्श के लिए उचित वातावरण बनाना समाज के सभी लोगों की जिम्मेदारी है." लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि वह छोटी-सी "मनोवैज्ञानिक कहानी" के माध्यम से अपनी बात समझाना चाहेंगी.
उन्होंने कहा, "मान लीजिए कि अगर मैंने अपने बेटे के हाथ में बड़ी चॉकलेट दे दी और मुझे बाद में लगा कि एक बार में इतनी बड़ी चॉकलेट खाना उसके लिए अच्छा नहीं होगा. अब आप बच्चे के हाथ से वह चॉकलेट जबर्दस्ती लेना चाहें, तो आप इसे नहीं ले सकते. ऐसा किए जाने पर वह गुस्सा करेगा और रोएगा. मगर दो-तीन समझदार लोग बच्चे को समझा-बुझाकर उससे चॉकलेट ले सकते हैं."
बराबरी करने के लिए किसी पर अन्याय नहीं किया जा सकता- महाजन लोकसभा अध्यक्ष ने कहा, "किसी व्यक्ति को दी हुई चीज अगर कोई तुरंत छीनना चाहे, तो विस्फोट हो सकता है." उन्होंने संबद्ध कानूनी बदलावों को लेकर विचार-विमर्श की जरूरत पर जोर देते हुए कहा, "यह सामाजिक स्थिति ठीक नहीं है कि पहले एक तबके पर अन्याय किया गया था, तो इसकी बराबरी करने के लिये अन्य तबके पर भी अन्याय किया जाए."
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा, "हमें अन्याय के मामले में बराबरी नहीं करनी है. हमें लोगों को न्याय देना है. न्याय लोगों को समझाकर ही दिया जा सकता है. सबके मन में यह भाव भी आना चाहिए कि छोटी जातियों पर अत्याचार नहीं किया जाएगा."