अमेरिका पाकिस्तान और दूसरे देशों को पैसा क्यों देता है?
Why US gives money to Pakistan and other countries: यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ़ अमेरिका (USA) के पास पैसों की कोई कमी नहीं है. वहां के टॉप बिजनेसमैन की नेटवर्थ इतनी होती है कि वो चाहें तो हर महीने छोटे-मोटे देख ही खरीद डालें। अमेरिका का सालाना बजट इतना होता है जितना कई देशों की टोटल DGP होती है. अमेरिका अपनी सुरक्षा, रिसर्च, और सीक्रेट मिशन के लिए इतना पैसा बहा देता है जितने में पाकिस्तान जैसे देश सालों साल चल सकते हैं. जब आपके पास इफरात पैसा होता है तो समझ में नहीं आता क्या करें? US के साथ भी यही सीन है इसी लिए वह गरीब देशों को मुफ्त में पैसे दे देता है.
अमेरिका खुद को वर्ल्ड लीडर मानता है और देखा जाए तो कई मामलों में US वर्ल्ड लीडर है भी. अमेरिका बहुत बड़ी पॉवर है और अपना भौकाल मेंटेन रखने के लिए वो दूसरे देशों की अर्थव्यवस्था को मेंटेन किए रहता है. भारत की नाक में दम किए रहने वाले पाकिस्तान को भी अमेरिका पैसे देता है. और उसी पैसों का इस्तेमाल पाकिस्तान आता खरीदने के लिए नहीं हथियार खरीदने के लिए करता है. अमेरिका ऐसे देशों को फॉरेन एड यानी विदेशी देता है.
अमेरिका दूसरे देशों को पैसा क्यों देता है?
दूसरे देशों की अर्थव्यवस्था बनाए रखने के लिए अमीर देश उन्हें सालाना या जरूरत पड़ने पर ढेर सारे पैसे देते हैं. इस सिस्टम को ही Foreign Aid कहा जाता है. यह मदद हथियार, मानव संसाधन के लिए दी जाती है. जैसे हाल ही में सीरिया और तुर्किये में भूकंप से तबाही हुई तो भारत ने इन देशों को दवाइयां, कपड़े, खाने-पीने की चीजें और रेस्क्यू टीमें भेजीं. लेकिन अमेरिका सालाना तौर पर पैसे देता है.
अमेरिका पाकिस्तान को पैसा क्यों देता है?
इस सवाल का जवाब जानने से पहले हमें थोड़ा फ्लैशबैक में जाना पड़ेगा। बात है वर्ल्ड वॉर 2 के बाद की, जब युद्ध के बाद यूरोप के ज्यादातर देश तबाह हो गए थे. दुनिया दो धड़ों में बंट गई थी. एक धड़ अमेरिका था और दूसरा सोवियत यूनियन। तबाह हो चुके देश उसी धड़ से जुड़ जाते जो उनकी मदद करता। अमेरिका ने ऐसे बर्बाद हो चुके देशों की नब्ज पकड़ ली, वो समझ गया कि इन्हे पैसा देंगे तो ये सदा हमारे पक्ष में रहेंगे।
1947 में US के विदेश मंत्री जॉर्ज मार्शल ने यूरोपीय देशों की मदद करने का एलान किया। अमेरिका के नेताओं को लगा कि अगर यूरोप में फैली अराजकता को रोक दिया जाए तो वहां की जनता चीन की तरह कम्युनिज्म की तरफ नहीं बढ़ेगी। इसी मकसद से US राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन ने 1948 में Economy Recovery Act पर दस्तखत किए.
1950 में US ने वियतनाम के सैनिकों को हो ची मिन्ह की गुरिल्ला लड़ाकों के ख़िलाफ़ लड़ने के लिए पैसे और हथियार दिए. बाद में खुद अपनी सेना भी जंग में उतार दी, हालांकि इससे अमेरिका का बहुत नुकसान हुआ
साल 2000 और 2010 तक अमेरिका ने अफ़ग़ानिस्तान और इराक में वॉर ऑन टेरर सहित अफ्रीका में एड्स की रोकथाम करने के लिए खूब पैसा दिया। लेकिन दोनों चीज़ों में पैसा बर्बाद हुआ. लम्बे समय तक अफ़ग़ानिस्तान पर पैसा खर्च करने के बाद अंततः अमेरिका ने वहां से अपना बोरिया बिस्तर समेत लिया
अमेरिका दावा करता है कि वो अपने लोकतंत्र की सुरक्षा और आम नागरिकों की बेहतरी के लिए दूसरे देशों को पैसा देता है. लेकिन कई बार देखा गया है कि पाकिस्तान जैसे देश अमेरिका के दिए पैसों का इस्तेमाल आतंकवाद के लिए करते हैं. अमेरिका में भी यह बात जानता है. कहीं न कहीं इस तरह देशों को पैसे बांटने के पीछे अमेरिका का मकसद यही है कि वह बाकी देशों द्वारा पूजा जाए, उसकी इज्जत बनी रहे और चीन आगे न बढ़ने पाए