क्या अंतर होता है फर्स्ट पार्टी और थर्ड पार्टी इंश्योरेंस में?
कोई भी गाड़ी चलाई जाए फिर चाहे वो टू-व्हीलर चलाएं या फोर-व्हीलर, सबसे महत्वपूर्ण ये है कि गाड़ी के कागज़ कंप्लीट होने चाहिए। क्योंकि कागजों की बदौलत ही आप वाहन का इंश्योरेंस हर साल रिन्यू करवा सकते है। भारत के केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी की तरफ से नियमों में बदलाव किए गए हैं। जिसके फलस्वरूप अगर आपकी गाड़ी का बीमा नहीं है तो आपको सड़क पर गाड़ी चलाना महंगा पड़ सकता है। बीमा पॉलिसी भी अलग-अलग तरह की होती हैं। अक्सर आपने सुना होगा फर्स्ट पार्टी और थर्ड पार्टी इंश्योरेंस के बारे में। इन पॉलिसीज़ से क्या क्या फायदे होते हैं और क्या क्या नुकसान इसके बारे में ज्यादातर लोग नहीं जानते। आज हम आपको बताएंगे कि फर्स्ट पार्टी और थर्ड पार्टी इंश्योरेंस में क्या अंतर होता है-
क्या है फर्स्ट पार्टी इंश्योरेंस (What is First Party Insurance?)
इस इंश्योरेंस को करवाया जाता है जीरो डेप्थ के साथ, जिससे सारी चीज़ें कवर हो सके। जैसे दुर्घटना के फलस्वरूप आपकी गाड़ी में क्षति पहुंची है, आपको शारीरिक क्षति हुई है ये सारी चीज़ें कंपनी की तरफ से बीमाधारक को फर्स्ट पार्टी इंश्योरेंस पॉलिसी में मिलती हैं। यहां तक कि गाड़ी चोरी हो जाने पर कंपनी बीमाधारक को क्लेम देती है। फर्स्ट पार्टी इंश्योरेंस में आपको साल में दो बार क्लेम लेने का मौका मिलता हैं।
थर्ड पार्टी इंश्योरेंस (Third party insurance)
ऐसा इंश्योरेंस जिसमें अगर दुर्घटना आपके द्वारा हुई है तो उसका क्लेम आपको नहीं बल्कि सामने वाले को मिलेगा। जैसे कि आपका वाहन किसी दूसरे वाहन से टकराता है, तो दुर्घटना में जो नुकसान होगा उसकी भरपाई आपकी बीमा कंपनी सामने वाली पार्टी को देगी। थर्ड पार्टी इंश्योरेंस में वाहन के चोरी होने पर भी कंपनी क्लेम नहीं देती। आप सरल शब्दों मे इसे ऐसे समझ सकते हैं कि वाहन का कोई भी नुकसान हो क्लेम आपको नहीं सामने वाली पार्टी को मिलेगा इसीलिए इसे थर्ड पार्टी कहते है।
तो ये मुख्य अंतर होता है फर्स्ट पार्टी और थर्ड पार्टी इंश्योरेंस में। अभी नितिन गडकरी जी द्वारा बनाए गए नए नियमों के अनुसार अगर कोई व्यक्ति बिना इंश्योरेंस के गाड़ी चलाता है तो 2 हजार रुपये का जुर्माना या फिर 3 महीने की जेल की सजा हो सकती है या फिर दोनों सजा एक साथ भुगतनी होगी।