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PLI Scheme: पीएलआई स्कीम लाने का प्रस्ताव, उद्योगों के अपग्रेडेशन से बढ़ेगा दालों का उत्पादन

Sanjay Patel
17 April 2023 4:40 PM IST
PLI Scheme: पीएलआई स्कीम लाने का प्रस्ताव, उद्योगों के अपग्रेडेशन से बढ़ेगा दालों का उत्पादन
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MP News: दालों की महंगाई और देश में खपत के मुकाबले कमी का हल भी सरकार पीएलआई स्कीम के जरिए खोजना चाहती है। केन्द्रीय उपभोक्ता मंत्रालय के सचिव रोहित कुमार सिंह का कहना है कि सरकारी ऐसी योजना लाने को तैयार है।

दालों की महंगाई और देश में खपत के मुकाबले कमी का हल भी सरकार पीएलआई स्कीम के जरिए खोजना चाहती है। केन्द्रीय उपभोक्ता मंत्रालय के सचिव रोहित कुमार सिंह का कहना है कि सरकारी ऐसी योजना लाने को तैयार है। किंतु दालों का उत्पादन बढ़ाने में योजना मददगार रहे। निर्माण क्षेत्रों को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा देश में उद्योगों के लिए प्रोडक्टिविटी लिंक इंसेंटिव स्कीम (पीएलआई) जारी की है। आटोमोबाइल से लेकर इलेक्ट्रॉनिक, सेमिकंडक्टर जैसे तमाम निर्माण क्षेत्रों के उद्योगों के लिए सरकार ऐसी स्कीमें जारी कर चुकी है।

दाल उत्पादकता बढ़ाने पर ध्यान देना जरूरी

दाल उद्योगों की उत्पादकता के साथ ही दक्षता बढ़ाने पर ध्यान देना आवश्यक है। यह बातें एमपी के इंदौर पहुंचे केन्द्रीय सचिव ने दाल मिलर्स और उद्योग संगठनों के पदाधिकारियों से कहीं। उन्होंने कहा कि यदि सरकार के हस्तक्षेप व सहयोग से यदि दाल उद्योग में थोड़ा भी उत्पादन बढ़ने की संभावना है तो इस दिशा में हम आगे बढ़ने को तैयार हैं। इस दौरान उन्होंने उद्योग संचालकों से यह भी पूछा कि इस क्षेत्र के लिए पीएलआई स्कीम को कैसे तैयार किया जा सकता है।

भारत में दाल का उत्पादन 280 लाख टन

भारत में दलहन की खासी पैदावार होने के बावजूद अपनी जरूरत की पूर्ति के लिए दालों का विदेश से आयात करना पड़ता है। जिसमें तुअर, उड़द के साथ ही मसूर का भी आयात किया जाता है। हैरानी इस बात की है कि म्यांमार, तंजानिया, मोजांबिक के साथ ही मलावी जैसे कुछ देश केवल भारत के उपयोग के लिए ही तुअर जैसी दलहन का उत्पादन कर रहे हैं। यहां पर यह बता दें कि भारत दुनिया में दालों का सबसे बड़ा उपभोक्ता है। देश में दाल का उत्पादन 280 लाख टन के आसपास है जबकि 300 लाख टन से ज्यादा दालों की खपत यहां होती है।

दालों की महंगाई पर नियंत्रण लगाना मकसद

सरकार का मकसद है कि दालों की महंगाई पर नियंत्रण लगाया जा सके। इसका उत्पादन बढ़ाने के साथ ही निर्यात पर निर्भरता नहीं रहे ऐसी सरकार की मंशा है। किसानों को दलहन के लिए प्रेरित करने के साथ ही दालों के उत्पादन में प्रोसेसिंग स्तर पर होने वाली हानि भी सरकार कम करना चाहती है। जिसके संबंध में सचिव ने दाल मिलों के संचालकों से सुझाव मांगा। जिस पर संचालकों ने कहा कि दाल उद्योगों की मशीनें वर्षों पुरानी हैं। नई मशीनों पर सरकार ने जीएसटी बढ़ाकर 18 प्रतिशत कर दिया है। किंतु दाल पर जीएसटी नहीं है। ऐसे में संचालकों को करोड़ों रुपए जीएसटी मशीनों पर ही चुकाना पड़ता है। दाल मिल संचालकों ने कहा कि यदि मशीनों पर जीएसटी कम कर दी जाए तो संचालक आसानी से नई मशीन स्थापित कर सकेंगे। जिससे उत्पादन के दौरान घाटे को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

इनका कहना है

इस संबंध में ऑल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल का कहना है कि पीआईएल स्कीम आती है तो नई मशीनों की सहायता से उत्पादन बढ़ाया जा सकता है। इसके साथ ही मशीनों पर जीएसटी भी कम करने की आवश्यकता है जिससे आसानी से नई मशीनों को स्थापित किया जा सके। उन्होंने कहा कि इस संबंध में मौखिक बात हो चुकी है। एसोसिएशन द्वारा जल्द ही इसका प्रस्ताव तैयार कर केन्द्रीय सचिव को भेजा जाएगा।

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