अब बंजर जमीन भी उगलेगी अन्न, किसानों को होगी 1.50 लाख की आमदनी
अब बंजर और बेकार पड़ी जमीन भी किसानों को मालामाल करेंगे। हमारे कृषि वैज्ञानिकों ने ऐसा कुछ कर दिखाया है जिसका इजाद करने पर किसान प्रति हेक्टेयर डेढ़ लाख से ज्यादा की आमदनी ले सकेंगे। किसानों को लाभ का धंधा बनाने कृषि वैज्ञानिक नए नए शोध कर रहे हैं। इसी का परिणाम है कि आज मध्य प्रदेश के जबलपुर कृषि विश्वविद्यालय (Agricultural University, Jabalpur) के कृषि वैज्ञानिक (Agricultural Scientist) छात्रों ने पथरीली जमीन (Rocky Land) में खेती करना सुगम कर दिया है। इस जमीन में अभी तक जहां एक दाना पैदा नहीं होता था वहां आप कृषि वैज्ञानिकों की नई खोज ने हरित क्रांति ला दी है।
छात्रों ने तैयार किया मॉडल
जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय (Jawaharlal Nehru Agricultural University) के छात्रों ने एक मॉडल तैयार किया। जिसमें पथरीली ककराली और उबड खाबड पड़ी बंजर जमीन (Farming in barren land) का समुचित उपयोग किया जा सकता है। 6 वर्ष की रिसर्च के बाद छात्रों ने वह कर दिखाया जिसकी जरूरत हमारे देश के कई किसान को थी वैज्ञानिक छात्रों के इस मॉडल का उपयोग कर किसान अच्छी उपज प्राप्त कर सकते हैं।
क्या है बोनी का तरीका
ककड़ी ली पथरीली जमीन पर खेती करने के लिए न तो अधिक पानी की आवश्यकता होती है तो वही किसान में की जुदाई का खर्च भी नही लगता है। वह इस पद्धति को बपनाने से कई के खर्चे से भी बच जाते हैं। बिना खेत को जूते खेती करने पर शुरुआत से ही आमदनी बढ़ जाती है। जवाहर मॉडल में खेती करने के लिए बोरी और खाद मिट्टी की आवश्यकता होती है।
ऐसे कर रहे खेती
जवाहर मॉडल के माध्यम से पथरीली और ककरीली जमीनों का उपयोग खेती में किया जाने लगा है। इसके लिए एक बोरी में मिट्टी और गोबर की खाद मिलाकर भर दी जाती है। इसके पश्चात इन बोरियों को एक क्रम में निश्चित दूरी पर रखकर बायो फर्टिलाइजर मिलाकर 28 तरह की फसलों कि किसी दाने को डालकर तैयार किया जा सकता है। वह इसमें बूंद बूंद पद्धति से सिंचाई की जाती है।
इतनी होती है उपज
जवाहर मॉडल की खेती करने पर 1 एकड़ के रकबे में करीब 600 बोरी मैं अरहर की बोनी की जाती है। वही प्रति अरहर के पौधे से ढाई किलो अरहर का उत्पादन प्राप्त होता है। बताया तो यहां तक जाता है अरहर के पौधे के साथ बोरी में धनिया डाल दी जाती है। एक एक बोरी 500 ग्राम धनिया की पत्ती मिलती है। साथ ही अनार के पौधे पर लाख का कीड़ा चढ़ा दिया जाता है। जो 1 महीने में 350 सौ ग्राम के लगभग लाख का उत्पादन करता है। ऐसे में जवाहर पद्धति किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है।