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Makhana Farming Business Idea: अगर 70 से 80 प्रतिशत तक मुनाफा चाहिए तो शुरू करें मखाना की खेती, होगी शानदार कमाई

Sandeep Tiwari | रीवा रियासत
20 Dec 2021 9:30 PM IST
Updated: 2021-12-20 16:00:54
Makhana Farming Business Idea: अगर 70 से 80 प्रतिशत तक मुनाफा चाहिए तो शुरू करें मखाना की खेती, होगी शानदार कमाई
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Makhana Farming Business Idea: किसानी से अगर कोई मालामाल होना चाहता है तो उसे मखाने की खेती करनी चाहिए।

Makhana Farming Business Idea: किसानी से अगर कोई मालामाल होना चाहता है तो उसे मखाने की खेती करनी चाहिए। मखाने की खेती करने पर किसानो को प्रति हेक्टेयर 3 लाख रूपये तक की आमदनी होती है। वहीं अगर मुनाफा बढ़ान है तो दाने को भूनकर मखाना बना लिया जाय तो आमदनी का प्रतिशत 70 से 80 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। भारत में मखाने की खेती बहुतायत मात्रा में बिहार प्रांत में होती है। अगर बात विश्व की करें तो 80 से 90 प्रतिशत मखाना केवल भारत में पैदा होता है। विश्व के अन्य देश मात्र 10 से 20 प्रतिशत ही इसकी पैदावार कर पाते हैं। मखाने की मांग विश्व स्तर पर सबसे ज्यादा है।

इतना होता है मखाने में लाभ

जानकारी के अनुसार अगर किसान मखाने की खेती आधुनिक तकनीक से कर रहा है तो 1 लाख रूपये की लागत आती है। वही अगर आमदीन की बात करें तो इससे कम से कम 1 से डेढ लाख रूपये एक सीजन में मिलते हैं। जबकि वर्ष में मखाना दो बार बोया जाता है।

ऐसे में वर्ष भर में करीब 3 लाख रूपये की आमदनी किसानो को होती है। बाजार मे मखाने का दाम 500 से 800 रूपये प्रतिकिलो होता है। इसके दाम में गिरावट नहीं होती है।

ऐसे करें मखाने की खेती

मखाने की खेती वर्ष में दो बार की जाती है। इसे दो तरह से किया जा सकता है। पहला इसे तालाब में बोया जाता है तो वहीं दूसरा इसे खेतो में भी लगाया जा सकता है। खेतों में लगाने के लिए आवाश्यक है कि खेत में पानी का भराव बना रहे।

मखाने को मार्च के महीने मे ंलगाने पर अगस्त -सितम्बर में काट लिया जाता है। वहीं दूसरी बार इसे सितम्बर-अक्टूबर में लगाकर फरवरी और मार्च के महीने में काट लिया जाता है।

बताया जाता है कि पहले मखाने के बीजों को बोकर नर्सरी तैयार कर ली जाती है। बाद में उन्हे खेतां में रोपित कर दिया जाता है। अगर तालाब में मखाने की खेती करनी है तो उन तैयार पौधों को तालब में डाल दिया जाता है।

ऐसे बनता है मखाना

बताया जाता है कि मखाना बनाने के लिए पहले उसके दाने को गर्म कड़ाही में डालकर भूना जाता है। वहीं बाद में उसे निकालकर पटरे पर रखकर लकडी का हथौडा मारा जाता है। जिसके बाद वह लावा बन जाता है।

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