LIC Policy: एलआईसी पॉलिसी बंद कराने के ये है नियम, Tax में इस तरह की होती है कमाई
LIC Policy List: बीमा पॉलिसी कई वजहों से बंद कराने की नौबत आ जाती है। प्रीमियम भरने में दिक्कत हो या ग्राहक को वह पॉलिसी पर्याप्त न लगे तो उसे बंद कराने के बारे में सोचा जा सकता है. पॉलिसी बंद कराने पर आपको कुछ पैसे मिलते हैं जिसे सरेंडर वैल्यू कहते हैं. पॉलिसी सरेंडर करने पर जो पैसा मिला, वही सरेंडर वैल्यू होता है।
ऐसी स्थित में पॉलिसी पर लगता है टैक्स
अगर शुरू के दो साल प्रीमियम पूरा चुकाया गया हो तो सरेंडर वैल्यू पर कोई टैक्स नहीं लगता। पॉलिसी कब जारी की गई है इस पर भी टैक्स का नियम लागू होता है. अगर पॉलिसी 31 मार्च 2003 के पहले की है तो वह पूरी तरह से टैक्स फ्री है। अगर पॉलिसी 1 अप्रैल 2003 से 31 मार्च 2012 के बीच की है तो सरेंडर वैल्यू पर टैक्स तभी माफ होगा जब सम एस्योर्ड की राशि प्लान के सालाना प्रीमियम से 5 गुना ज्यादा हो।
इसी तरह अगर पॉलिसी 1 अप्रैल 2012 के बाद ली गई है तो सरेंडर वैल्यू पर टैक्स तभी माफ होगा जब सम एस्योर्ड की कुल राशि सालाना प्रीमियम से 10 गुना ज्यादा हो. पॉलिसी अगर 1 अप्रैल 2003 से 31 मार्च 2012 के बीच ली गई है और किसी भी एक साल में चुकाई गई प्रीमियम की कुल राशि सम एस्योर्ड के 20 परसेंट की राशि से अधिक हो तो सरेंडर वैल्यू पर टैक्स देना पड़ेगा। यह नियम तभी लगेगा जब आप पॉलिसी बंद कराएंगे और सरेंडर वैल्यू लेंगे. पॉलिसी बंद नहीं कराने पर टैक्स का ऐसा कोई नियम लागू नहीं होता।
टैक्स से मिलता है ये लाभ
अगर आप का टैक्स कट रहा है तो इसमें कमाई भी की जा सकती है। जीवन बीमा पॉलिसी पर इनकम टैक्स की धारा के तहत टैक्स छूट का लाभ मिलता है। अगर आपने 31 मार्च 2012 को या उससे पहले पत्नी-पति या बच्चे के नाम पर इंश्योरेंस पॉलिसी ली है तो चुकाए गए प्रीमियम पर 20 फीसदी तक टैक्स छूट का लाभ ले सकते हैं. यह नियम जीवनसाथी या बच्चे के नाम पर ली गई पॉलिसी के लिए है. अगर आपने 1 अप्रैल 2012 के बाद खुद, बच्चे, पति, पत्नी के नाम से पॉलिसी खरीदी है तो प्रीमियम राशि सम एस्योर्ड के 10 फीसदी के टैक्स लाभ के लिए योग्य है।