LIC IPO Update: नहीं टलेगा एलआईसी का आईपीओ, 22 दिनों में सेबी ने ड्राफ्ट को मंजूरी दी, जानिए कब आएगा आईपीओ?
LIC IPO Update
LIC IPO Update: देश की सबसे बड़ी सरकारी बीमा कंपनी Life Insurance Corporation of India (LIC) के बहुप्रतीक्षित Initial Public Offer (IPO) को लेकर एक और रास्ता साफ़ हो गया है. बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने सरकार के एलआईसी आईपीओ के ड्राफ्ट (LIC IPO Draft) को 22 दिनों में मंजूरी दे दी है. इसके पहले सेबी ने किसी भी आईपीओ के ड्राफ्ट पर इतनी जल्दी मंजूरी नहीं दी थी. सेबी के इस कदम के बाद कयास लगाए जा रहें हैं कि एलआईसी का आईपीओ टलने की बजाय जल्द ही लॉन्च होने जा रहा है.
ET Now की एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया कि सेबी ने ड्राफ्ट को मंजूर करते हुए ऑब्जर्वेशन लेटर भी जारी कर दिया. इसके साथ ही अब एलआईसी आईपीओ को बाजार में उतारने का रास्ता साफ हो चुका है. सरकारी बीमा कंपनी ने सेबी के पास फरवरी में आईपीओ का ड्राफ्ट सौंपा था.
क्यों लगाए जा रहे थे LIC के IPO के टलने के कयास?
SEBI को कहा गया था कि वह LIC IPO के ड्राफ्ट को मंजूरी देने का काम 3 सप्ताह में पूरा करे. आम तौर पर सेबी इस काम में महीनों का समय लगाता है. ऐसी उम्मीद की जा रही थी कि बाजार नियामक ड्राफ्ट को मार्च के पहले सप्ताह में मंजूरी दे सकता है. हालांकि बाद में ऐसी खबरें भी आ रही थीं कि रूस-यूक्रेन की लड़ाई (Russia Ukraine War) के बीच शेयर मार्केट के बिगड़े हाल के चलते सरकार फिलहाल एलआईसी आईपीओ को टाल सकती है.
अलग-अलग कैटेगरी के लिए LIC IPO में कितना रिजर्वेशन?
आईपीओ के ड्राफ्ट के अनुसार, एलआईसी के कुल 632 करोड़ शेयर होंगे, इनमें से करीब 31.6 करोड़ शेयर आईपीओ में बेचे जाएंगे. इस आईपीओ में एलआईसी के पॉलिसी होल्डर्स के लिए अलग से एक हिस्सा रिजर्व रखा जा रहा है. ड्राफ्ट में एलआईसी के पॉलिसी होल्डर्स के लिए 10 फीसदी यानी करीब 3.16 करोड़ शेयर रिजर्व रखने का प्रस्ताव किया गया है. इसमें QIBs के लिए 50 फीसदी शेयर रिजर्व होंगे, जबकि गैर-संस्थागत इन्वेस्टर्स के लिए 15 फीसदी हिस्सा अलग रखा जाएगा.
LIC के IPO से बनेगा ये ख़ास रिकॉर्ड
पहले कहा जा रहा था कि इस आईपीओ के जरिए सरकार एलआईसी में अपनी 10 फीसदी तक हिस्सेदारी बेच सकती है. ऐसा होता तो आईपीओ का साइज 1 लाख करोड़ रुपये के भी पार निकल सकता था. इस भारी-भरकम साइज से आशंकाएं उठने लगी थीं कि कहीं बाजार इसे सही से डाइजेस्ट न कर पाए. इस कारण सरकार अभी 5 फीसदी हिस्सेदारी ही बेचने जा रही है. सरकार इस आईपीओ से 60 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा जुटाने का प्रयास कर रही है. साइज कम करने के बाद भी यह भारत के इतिहास का सबसे बड़ा आईपीओ बनने जा रहा है.