Land Registry: जमीन खरीद-बेच रहे हैं तो इन 9 बातों को ध्यान में रख लीजिये, बढ़िया रहेगा
Land Registry: प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री (Property Registry) कराने के बाद पर लोग ये मान लेते हैं कि काम पूरा हो गया और हम उस संपत्ति के लैंड लार्ड बन गए. लेकिन ऐसा नहीं होता बाबू रजिस्ट्री कराने के बाद एक निश्चित पीरियड तक इस रजिस्ट्री के विरोध में आपत्तियां दर्ज कराई जा सकती हैं. आपत्ति दर्ज कराने वालों में जमीन बेचने वाले के घरवाले, रिश्तेदार बीच में अड़ंगा लगा सकते हैं।
इसी लिए जब कभी जमीन बेचना या खरीदना होतो ये 9 पॉइंट को एकदम दिमाग में घुसेड़ के ये सब काम करिएगा आपके लिए ही बढ़िया रहेगा।
1.आपत्ति होने में केस दर्ज होता है
रजिस्ट्री होने के बाद प्रॉपर्टी के विक्रेता को इनफार्मेशन भेजी जाती है कि इसप्रॉपर्टी का उक्त व्यक्ति के नाम बैनामा किया गया है. यदि इस बारे में आपको कोई आपत्ति है तो आप केस दर्ज करा सकते हैं.
2. दावे की हकीकत की पड़ताल
इस प्रोसेस का मुख्य उद्देश्य यह कन्फर्म करना होता है कि रजिस्ट्री करने वाला व्यक्ति असली में मालिक ही है कोई ठग्गू तो नहीं और उससे किसी के दबाव में तो बैनामा नहीं करा लिया गया है
3. 90 दिन की अवधि रहती है
आपत्ति दर्ज कराने के लिए विभिन्न राज्यों में अलग-अलग अवधि फिक्स्ड है. यूपी में इसके लिए 90 दिन की अवधि निर्धारित है. इस दरम्यान तहसीलदार कार्यालय में कभी भी आपत्ति दर्ज कराई जा सकती है.
4. वरना खारिज हो जाएगी रजिस्ट्री
अगर बेचने वाले को प्रॉपर्टी की पूरी कीमत नहीं मिल पाई है तो वह आपत्ति दर्ज कराकर इसका दाखिल खारिज रुकवा सकता है. इस स्थिति में प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री खारिज हो जाएगी.
5. क्या है आम वजह?
ज्यादातर मामलों में आपत्तियां विक्रेता के घरवालों और हिस्सेदारों की ओर से ही दर्ज कराई जाती हैं. इसकी प्रमुख वजह गृह क्लेश होती है.
6. पेमेंट न मिलना
खरीदार रजिस्ट्री के वक़्त बेचने वाले को पोस्ट डेटेट चेक (पीडीसी) भी दे देता है. इनके क्लीयर न होने पर आपत्ति दर्ज कराकर दाखिल खारिज रुकवा दिया जाता है.
7. ज्यादा पैसों का लालच
इस तरह के मामले भी सामने आए हैं जिनमें विक्रेता ने आपत्ति दर्ज कराकर दाखिल खारिज रुकवा दिया और खरीदार से और पैसा वसूलने के लिए दबाव बना दिया. इसी लिए थोड़ा ध्यान से किसी भले आदमी से ज़मीन खरीदिये
8. तहसील में होता है फैसला
आपके जिले के तहसीलदार कार्यालय में इस तरह के सभी मामलों की सूची बनाकर उनका निस्तारण किया जाता है. वाजिब आपत्तियों के मामले में कार्रवाई की जाती है. जो सही रहता है उसके पक्ष में फैसला होता है। बाकी सरकारी सिस्टम के बारे में तो आप जानते हैं
9. फर्जी आपत्तियां होती हैं खारिज
अगर आपत्तियां फर्जी हैं और दस्तावेजों में सबकुछ सही पाया जाता है तो खरीदार का नाम राजस्व विभाग के अभिलेखों में दर्ज कर दिया जाता है. और उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।