इस तरह सोयाबीन की खेती करने से होगा 10 गुना फायदा, किसान हो जायेंगे मालामाल!
Soya Bean Farming: धीरे-धीरे सोयाबीन की बोनी का समय आ रहा है। सोयाबीन की खेती करने वाले किसान तैयारी में जुट गए होंगे। जून का महीना सोयाबीन की बोनी के लिए सबसे उपयुक्त बताया गया है। जिसके लिए मात्र 20 दिन शेष बचे हैं। जून का महीना लगते ही जैसे ही 4 से 5 इंच की बारिश हो जाती है किसान सोयाबीन की बोनी शुरू कर देते हैं। आज हम 2 ऐसे उपाय बताने जा रहे हैं जिनको करने से सोयाबीन में भरपूर उत्पादन लिया जा सकता है।
कौन से हैं 2 उपाय
कृषि वैज्ञानिकों की माने तो सोयाबीन का भरपूर उत्पादन प्राप्त करने के लिए किसानों को मुख्यतः दो बातों का ध्यान रखना होता है। यह दो बातें सोयाबीन के भरपूर उत्पादन में सहयोगी सिद्ध हो रहे हैं। जिसमें सबसे प्रमुख है खेतों की बोनी के पूर्व तैयारी और विशेष विधि से सोयाबीन की बोनी।
खेत की बोने के पूर्व तैयारी
सोयाबीन बोने के लिए खेतों की तैयारी आवश्यक है। इसके लिए बताया गया है कि रवि की फसल कटाई के बाद खेतों की गहरी जुताई करनी चाहिए। हर वर्ष के बजाय तीसरे वर्ष प्लाऊ से गहरी जुताई करनी चाहिए। जुताई के लिए रिजिड टाईन कल्टीवेटर अथवा मोल्ड बोर्ड प्लाऊ का उपयोग करना लाभदायक है।
विशेष विधि से बोनी
सोयाबीन की अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए बोनी पंक्ति में करनी चाहिए। पंक्ति में बोने के लिए सीड ड्रिल का उपयोग किया जाना आवश्यक है। पंक्ति में बोनी करने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि खरपतवार निकालने के लिए पर्याप्त जगह मिल जाती है। वही कीटों का नियंत्रण करने दवा का छिड़काव विधिवत तरीके से किया जा सकता है। जिससे भरपूर उत्पादन प्राप्त होता है।
पुरानी पद्धति से बोनी करने पर भरपूर उत्पादन प्राप्त नहीं हो पाता। क्योंकि पुरानी पद्धति में समतल भूमि पर सोयाबीन बोने से अधिक बारिश में पानी भर जाने से पौधे नष्ट हो जाते हैं। वही कम वर्षा की स्थिति में सिंचाई बराबर नहीं हो पाती।
बताया गया है कि पंक्ति विधि से बोनी करने पर एक गहरी नाली बन जाती है जिससे वर्षा का पानी बाहर निकल जाता है तो वहीं अवर्षा की स्थिति में पौधों को बड़े ही सरल तरीके से पानी दिया जा सकता है।
पंक्ति में बोनी करने का एक और सबसे बड़ा फायदा यह है के पौधों से पौधों के बीच में बनी नाली पर्याप्त स्थान देती है। जिससे हवा और सूर्य की किरणें पौधे को बराबर प्राप्त होता है। ऐसे में सोयाबीन में पर्याप्त तो शाखाएं आती हैं और फलिया भी पर्याप्त मात्रा में लगती है। जिससे भरपूर उत्पादन होता है।