अगर आप दोस्त-यार रिश्तेदारों को उधार में पैसे देने वाले हैं तो ये जान लें, नहीं तो देना होगा लंबा जुर्माना
Income Tax Rules: अगर आप अपने दोस्त यार, भाई या रिश्तेदारों को उधार में पैसे देने की सोच रहे हैं तो पहले इनकम टैक्स के नियमों को जान लें। भावनाओं में बह कर किसी की ऐसी मदद ना कर दें कि बाद में आपको ही बड़ा घाटा हो जाए। कहीं ऐसा ना हो जाए कि आपने बड़ी मात्रा में कैश तो दे दिया लेकिन अब उधार वापस मांगने के लिए उनके पास आपको हाथ फ़ैलाने पड़े और आपके पास इसका कोई सबूत भी ना हो कि आपने कभी उनकी मदद की थी।
वैसे आयकर कानून के मुताबिक, 20,000 रूपये से ज्यादा कैश लेना और देना अपराध हैं. अगर आप इसका पालन नहीं करते हैं तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट आपसे लोन अमाउंट के बराबर राशि पेनल्टी के रूप में ले सकता हैं. मतलब 100% वसूली होगी।
काहे नहीं दे सकते पैसा तो हमारा है ना?
अब नियम बना है तो बना है क्या कीजियेगा बताइये, इनकम टैक्स कानून-1961 की धारा-269SS किसी भी व्यक्ति को अपने खाते में अन्य व्यक्ति से कुल 20,000 रुपये से अधिक कैश जमा या लोन के तौर पर लेने से रोकती है. आपको इससे ज़्यादा अमाउंट में पैसे ट्रांसफर करना है तो इसके लिए या तो चेक से या फिर इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसफर ही किया जा सकता है. वहीं कानून की धारा-271D कहती है कि धारा-269SS का उल्लंघन करना दंडनीय अपराध है.
तो कितना हर्जाना लगेगा
पूरा का पूरा 100% हर्जाना देना पड़ेगा। अगर आप धारा-269SS के उल्लंघन का दोषी पाए जाते है तो उसे जुर्माने में उतनी ही रकम देनी होगी जितनी उसने नकद लोन के तौर पर ली हैं. यानी आपने 5 लाख रूपये नकद लिए हैं, तो आपको इतनी ही रकम का जुर्माना चुकाना होगा.
तो फिर कैसे उधार दें
अब कोई खास दोस्त को पैसों की ज़रूरत है तो आप बेशक उसकी मदद करेंगे ही, लेकिन इनकम टैक्स के नियमों को ध्यान में रख कर मदद करिये। इसी लिए इन सबसे बचने के लिए लोन देते समय एक लोन अग्रीमेंट तैयार कर लीजिए. इस पर लोन अमाउंट, वापसी की तारीख, सभी शर्तों के साथ आपकी सारी डिटेल्स होनी चाहिए. इससे भविष्य में बैंक को जानकारी देने में आसानी होगी. दोस्ती के चक्कर में अपनी लुटिया ना डुबो दीजियेगा।