Gratuity Calculation: जानिए क्या है ग्रेच्युटी और कैसे होती है कैलकुलेट?
Gratuity Calculation
Gratuity Meaning And Calculation In Hindi: ग्रेच्युटी के बारे में तो आपने भी सुना होगा। ज्यादा नहीं जानते होंगे तो ग्रेच्युटी नामक एक शब्द तो सुना ही होगा। लेकिन यह बहुत महत्वपूर्ण शब्द है। खास तौर पर नौकरी पेशा व्यक्तियों के लिए। अगर आप सरकारी या फिर किसी प्राइवेट कंपनी में काम कर रहे हैं तो देश के नियम कानून (Gratuity Rules) के अनुसार कंपनी को ग्रेच्युटीदेना होगा। सरल शब्दों में कहा जाए तो ग्रेजुएटी आय का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। लेकिन लोगों को पता नहीं है। आज हम ग्रेच्युटी से जुड़ी जानकारी देंगे।
ग्रेच्युटी एक ऐसी रकम होती है जब कर्मचारी रिटायरमेंट होता है या फिर प्राइवेट जॉब किसी कारणवश छोड़ता है। उस समय इस रकम का भुगतान किया जाता है।
- Gratuity Meaning In Hindi
इन्हें मिलती है ग्रेच्युटी
नियम के मुताबिक कर्मचारियों को दिया जाता है जो 5 वर्ष की सर्विस पूरी कर लेते हैं। या फिर उन्हें रिटायरमेंट, विकलांगता, या मृत्यु हो जाने पर दिया जाता है। प्राइवेट या पब्लिक सेक्टर में जिनके पास 10 से अधिक कर्मचारी हैं उन्हें कर्मचारियों को ग्रेच्युटी का भुगतान करना होता है।
इन पर नहीं होता लागू
जानकारी के अनुसार केंद्र या राज्य सरकार के सिविल सेवा पदों पर तैनात ट्रेनीज एवं अन्य व्यक्तियों पर लागू नहीं होता। उनके लिए कुछ अलग ही नियम बताए गए हैं। इसके अलावा दुकान, कारखाना, कंपनी में काम करने वाले लोगों पर यह नियम लागू होता है।
बताया गया है कि नियम के अनुसार ऐसे कर्मचारियों को ग्रेच्युटी का भुगतान नहीं किया जाता जो दंगा या किसी हिंसा जैसे अवैध कार्य में सम्मिलित हो। या फिर किसी को किसी कारण से नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया हो उसे भी ग्रेच्युटी पाने का हक नहीं है।
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Gratuity Formula: ग्रेच्युटी का फार्मूला
भारत में ग्रेच्युटी कैलकुलेशन का फार्मूला (Gratuity Calculation Formula) वेतन और सेवा के वर्षांं के आधार पर किया गया है। वेतन भोगी कर्मचारियों के लिए नियम कहता है कि सर्विस के हर पूर्ण वर्ष के लिए मासिक वेतन के 15 दिन के बराबर की ग्रेच्युटी मिलती है।
कितने दिन में करना होता है भुगतान
जानकारी के अनुसार ग्रेच्युटी का भुगतान 30 दिनों के भीतर कर देना चाहिए। अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो नियम के मुताबिक कंपनी को पात्रता की डेट से वास्तविक भुगतान की तारीख तक का साधारण ब्याज देना पड़ेगा। इसका भुगतान नकद, चेक, खाता या फिर डिमांड ड्राफ्ट के माध्यम से किया जा सकता है।