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कीमत से ज्यादा पैसे खर्च कर सरकार बनाती है सिक्का, आखिर क्यों, आइए जानें
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What Is The Reason For Making Coins: सिक्का किसी जमाने में धनवान लोगों के तिजोरी की शोभा बढ़ाता था। भले ही आज वह सिक्का अब मारा मारा फिर रहा है। देश के कई ऐसे जिले तथा कस्बे हैं जहां छोटे सिक्कों की कोई वैल्यू ही नहीं रह गई है। सरकार के लाख प्रयास के बाद भी व्यापारी लेन-देन नहीं कर रहे हैं। समुचित कार्यवाही के अभाव में यह सब हो रहा है।
क्यों सरकार छापती है सिक्के
ऐसे मैं एक सवाल उठता है जब सिक्के नहीं चल रहे हैं तो सरकार इन सिक्कों को बनाना क्यों नहीं बंद कर देती। वहीं आपको एक हैरान करने वाली बात और भी है की जितनी कीमत का सिक्का छापा जा रहा है उसमें सरकार को लागत भी ज्यादा आ रही है। आइए इन सिक्कों के बारे में आज जानकारी एकत्र करें।
कितना आता है खर्च
अगर बात एक रुपए के सिक्के की करें तो इसे बनाने में सरकार को 1.25 रुपए का खर्च आता है। यानी कि स्पष्ट तौर पर कहा जाए तो एक रुपए के सिक्के की ढलाई का पूरा खर्च 1 रूपया 25 पैसे आता है। सरकार हर वर्ष दो से ढाई करोड़ के सिक्के छापकर बाजार में उतारती है। अब आपको भी लगने लगा होगा कि आखिर सरकार यह घाटे का काम क्यों कर रही है।
महंगाई रहती है नियंत्रण में
अब हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर सरकार को सिक्के छापने की आवश्यकता क्यों होती है। कहा गया है कि महंगाई को कंट्रोल करने के लिए कम मूल्य के सिक्कों की छपाई आवश्यक है। अन्यथा बाजार में मूल्यों का निर्धारण छोटे सिक्कों के हिसाब से किया जाने लगेगा।
मान लीजिए अगर एक रुपए के सिक्के की छपाई बंद कर दी जाए तो जो दूध का पैकेट 21 रुपए में मिल रहा था अब उसकी कीमत सीधे 22 रुपए हो जाएगी। इसी तरह 2 रुपए का सिक्का कर बंद कर दिया जाए तो वस्तुओं की कीमत सीधे छोटे सिक्के 25 रुपए पर पहुंच जाएगी । कहने का मतलब यह कि जनता के ऊपर सीधे 1 रुपए का भार एक रुपए का सिक्का ना होने की वजह से पड़ रहा है। इसी तरह अन्य कई चीजें हैं जिनका मूल्य भी इसी तरह निर्धारित होगा।