इन पेड़ो में देवता करते है वास, अगर आपके घर में है ऐसे पौधे तो बनी रहेगी खुशहाली, मुसीबते होंगी दूर
हमारे सनातन धर्म में कई पौधों पेड़ों की पूजा की जाती है। यह पेड़ पौधे देव तुल्य बताए गए हैं। इनकी पूजा करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। कहां है कि इन पेड़ पौधों में किसी न किसी देवताओं का वास होता है। ऐसे में वह देवता लड़की पूजा करने पर प्रसन्न होकर शुभ आशीर्वाद देते हैं। तो वही कई वृक्षों को इसलिए भी पुण्य कार्य माना गया है क्योंकि उन पौधों के फल, पत्ते तथा पुष्प भगवान को अत्यधिक प्रिय है। ऐसे में वह वृक्ष देव के समान पूजे जाने लगे हैं। यह जाने कौन से हैं वह वृक्ष देवताओं की तरह देते हैं आशीर्वाद।
बेल और बरगद
बड़े-बड़े नुकीले कांटो के साथ वर्ष में एक बार फल देने वाला आमतौर पर तीन पत्तों का पौधा बेल भगवान भोलेनाथ को बहुत प्रिय है। भगवान भोलेनाथ बेल के कच्चे फल को भी स्वीकार करते हैं। वही बेलपत्र भगवान शिव को चढ़ाने पर कई पाप नष्ट हो जाते हैं। कहां जाता है कि बिना बेलपत्र के भगवान भोलेनाथ की पूजा अधूरी रहती है। इसी तरह बरगद के वृक्ष को भी त्रयोदशी के दिन पूजा करने पर बहुत शुभ फल प्राप्त होते हैं।
शमी का पौधा
शमी का संबंध शनिदेव से है। शनिवार के दिन शमी के पेड़ की पूजा करने से शनि दोष समाप्त होता है। साथ ही शनि देव प्रसन्न होते हैं। भगवान भोलेनाथ पर भी शमी के पत्ते चढ़ाने पर प्रसन्न होते हैं।
कदम का पेड़
कहा गया है कि कदम के पेड़ पर माता लक्ष्मी का निवास होता है। पेड़ के नीचे यज्ञ पूजन हवन करने से माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है साथ ही घर परिवार में खुशियां आती है।
घास दूर्वा
गर्मी के दिनों में भी हरी रहने वाली दूर्वा घास भगवान श्री गणेश को बहुत प्रिय है। बुधवार के दिन भगवान गणेश को 11 या 21 दूर्वा चढ़ाने पर मनोवांछित फल प्राप्त होता है।
तुलसी, केला और आंवला
तुलसी, केला और आंवले के पेड़ में माता लक्ष्मी का निवास भगवान विष्णु के साथ बताया गया है। इन पेड़ों के नीचे प्रतिदिन दीप जलाने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। बताया गया है कि गुरुवार के दिन केले के पेड़ की, एकादशी के दिन आंवले की पूजा, तथा प्रतिदिन तुलसी की पूजा करने से माता लक्ष्मी धन-धान्य प्रदान करती हैं।