Economic Survey: विदेशी मुद्रा में भारी गिरावट के बाद भी! भारत पर क्यों नहीं कोई खास असर, जानें
Videshi Mudra Men Giravat Ke Bavjood Bharat Asar nhin: लगातार भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में चौथे हफ्ते भारी गिरावट देखने को मिली है। इस चौथे हफ्ते में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 25 अरब डॉलर से भी अधिक घट गया है। रूस-यूक्रेन संकट के कारण दुनिया भर में आयात पर निर्भर देशों के विदेशी मुद्रा भंडार पर असर देखने को मिल रहा है। कमोडिटी कीमतों में तेजी से देशों का बिल तेजी से बढ़ रहा है। और आयात पर निर्भर देशों के खजानो पर इसका सीधा असर हो रहा है। भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका और पाकिस्तान में विदेशी मुद्रा भंडार काफी नीचे पहुंच चुका है, जिसके कारण इन देशों की अर्थव्यवस्थाएं लगातार खराब होती जा रही हैं। फिलहाल, भारत की स्थिति इन दोनों देशों से कहीं ज्यादा बेहतर है। आइए जानते हैं विदेशी मुद्रा भंडार की स्थिति के बारे में।
विदेशी मुद्रा भंडार का फायदा:
अलग-अलग करेंसी से दुनिया भर में कारोबार किए जाते हैं। जिनसे एक्सचेंज रेट्स लगातार बदलते रहते हैं। एक्सचेंज रेट्स इस बात पर आधारित होते हैं कि बाजार में किस खास करेंसी की मांग के मुकाबले सप्लाई कितनी होती है। अपनी करेंसी को किसी आपात स्थिति में 1 सीमा से अधिक टूटने से देश के सेंट्रल बैंक ऊंचे फॉरेन रिजर्व की सहायता से हस्तक्षेप के जरिए बचा सकते हैं। इसके साथ ही निर्यात आधारित किसी देश के लिए भुगतान को समय पर चुकाने की क्षमता उसे आसानी से कारोबार करते रहने में सुविधाएं देती है। ऊंचे विदेशी मुद्रा भंडार से रूस यूक्रेन जैसे किसी संकट की स्थिति में अर्थव्यवस्थाएं किसी भी तेज उतार-चढ़ाव का झटका आसानी से सहन कर सकते हैं।
भारत पर क्यों नहीं होगा कोई खास असर:
4 हफ्तों की भारी गिरावट के बाद भी भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 600 अरब डॉलर के ऊपर है। कच्चे तेल की कीमतों में लगातार हो रहे उछाल के साथ बीते वित्त वर्ष में भारत का आयात बिल रिकॉर्ड 600 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया। यानी रिजर्व घटने और कच्चे तेल में उछाल की स्थितियों के बीच भी भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 1 साल के आयात बिल के बराबर है।
इंटरनेशनल ट्रेंड में भारत की स्थिति अपने विदेशी मुद्रा भंडार की वजह से काफी मजबूत है और यही कारण है, कि रिजर्व बैंक के पास करेंसी में हस्तक्षेप करने के पूरे मौके भी बने हुए हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले समय में निर्यात बढ़ने और कच्चे तेल में नरमी से आयात बिल घटने के साथ एक बार फिर देश का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ने लगेगा।