BUDGET 2025: इन चीज़ों पर बढ़ेंगे दाम, इन पर मिलेगी राहत! जानिए क्या हुआ सस्ता और क्या महंगा...
सरकार द्वारा पेश किए गए बजट 2025 के बाद कई चीज़ों के दाम बढ़ेंगे और कई चीज़ों पर मिलेगी राहत। आइए देखते हैं कि बजट में कौन सी चीज़ें सस्ती हुईं और कौन सी चीज़ें महंगी हुईं।
ये चीज़ें हुईं सस्ती
जीवन रक्षक दवाएं: कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली 36 जीवन रक्षक दवाओं पर कस्टम ड्यूटी हटा दी गई है।
इलेक्ट्रॉनिक सामान: टच स्क्रीन पैनल, टच ग्लास शीट और LED/LCD टीवी के टच सेंसर पर कस्टम ड्यूटी 15% से घटाकर 5% कर दी गई है।
EV और मोबाइल फोन बैटरी: इलेक्ट्रिक वाहन (EV) और मोबाइल फोन बैटरियों के निर्माण के लिए 35 और 28 नए उपकरणों को टैक्स छूट दी गई है।
मछली और सीफूड: जमे हुए मछली पेस्ट (Surimi) पर कस्टम ड्यूटी 30% से घटाकर 5% कर दी गई है।
सिंथेटिक फ्लेवरिंग एसेंस: खाद्य और पेय उद्योग में इस्तेमाल होने वाले खुशबूदार पदार्थों पर कस्टम ड्यूटी 100% से घटाकर 20% कर दी गई है।
लिथियम स्क्रैप और मेटल स्क्रैप: लिथियम-आयन बैटरी, लेड, जिंक आदि के स्क्रैप पर कस्टम ड्यूटी पूरी तरह से खत्म कर दी गई है।
कोबाल्ट पाउडर: इस पर कस्टम ड्यूटी 5% से घटाकर शून्य (0%) कर दी गई है।
वेट ब्लू लेदर (Wet Blue Leather): चमड़े के इस प्रकार पर कस्टम ड्यूटी 15% से घटाकर 5% कर दी गई है।
ये चीज़ें हुईं महंगी
इम्पोर्टेड मोटरसाइकिलें: विभिन्न श्रेणियों की आयातित मोटरसाइकिलों पर बेसिक कस्टम ड्यूटी 5% से 20% तक बढ़ाई गई है।
इंटरैक्टिव फ्लैट पैनल डिस्प्ले: इस पर कस्टम ड्यूटी 10% से बढ़ाकर 20% कर दी गई है।
प्रीमियम टीवी: कुछ प्रीमियम टीवी पर भी कस्टम ड्यूटी बढ़ाई गई है।
सोना-चांदी पर नहीं हुआ कोई असर
इस बार बजट में सोने-चांदी पर कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि उनकी आयात शुल्क में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
बजट में चीज़ें कैसे होती हैं सस्ती या महंगी?
बजट में चीज़ें सीधे तौर पर सस्ती या महंगी नहीं होती हैं। कस्टम ड्यूटी, एक्साइज ड्यूटी जैसे टैक्स के बढ़ने या घटने से चीज़ों की कीमतों में बदलाव होता है।
डायरेक्ट और इनडायरेक्ट टैक्स क्या होते हैं?
डायरेक्ट टैक्स: यह टैक्स सीधे आपकी आय पर लगता है, जैसे कि इनकम टैक्स।
इनडायरेक्ट टैक्स: यह टैक्स चीज़ों और सेवाओं पर लगता है, जैसे कि GST।
पहले बजट में ही चीज़ों के दाम क्यों बदलते थे?
पहले बजट में ही चीज़ों के दाम इसलिए बदलते थे क्योंकि तब GST नहीं था। अब ज़्यादातर चीज़ें GST के दायरे में आती हैं और GST से जुड़े फ़ैसले GST काउंसिल लेती है, न कि बजट में।