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तुंबाड: ऐसी फिल्म जिसे बनाने में 21 साल लगे, फैंस कहते हैं ये कांतारा से ज़्यादा अच्छी फिल्म है
तुंबाड फिल्म बनने की कहानी: भारत में जब अच्छे कंटेंट वाली फिल्मों की चर्चा होती है तो RRR, कांतारा, KGF 2 का नाम आता है मगर एक ऐसी फिल्म है जो बेस्ट से भी बेस्ट मानी जाती है. इस फिल्म का नाम है 'तुंबाड'. यह एक ऐसी फिल्म है जिसे रिलीज हुए 6 साल बीत गए हैं मगर आज भी इस फिल्म को याद करके लोग उदाहरण देते हैं.
तुंबाड को बनाने में 21 साल का समय लगा था. इस फिल्म का कांसेप्ट ऐसा था जो उस वक़्त के हिसाब से इंडियन ऑडिएंस को समझ में नहीं आया था. इसी लिए तुंबाड बॉक्स ऑफिस में कुछ खास कलेक्शन नहीं कर पाई थी. मगर जब इस फिल्म को लोगों ने OTT में देखा तो इसके लिए दीवाने हो गए. लोगों का मानना है कि तुंबाड जैसी फिल्म कभी नहीं बनी और तब कांतारा की एंट्री हुई. इसी के साथ नया मुद्दा छिड़ गया कि ज़्यादा बेस्ट फिल्म कौन सी है तुंबाड या कांतारा
तुंबाड Vs कांतारा
Tumbbad Vs Kantara: इस समय तुंबाड Vs कांतारा चल रहा है. कुछ का कहना है कि तुंबाड से ज़्यादा अच्छी फिल्म कांतारा है. इस बहसा-बहसी के बीच तुंबाड के क्रिएटिव निर्देशक आनंद गांधी की एंट्री हो गई और बड़े घमंड में आकर उन्होंने कहा-
'तुंबाड' के आगे 'कांतारा' कुछ भी नहीं है. तुंबाड बनाने के पीछे मेरा आइडिया था. इसमें हमने टॉक्सिक मर्दानगी और पारलौकिक चीज़ों के आतंक को दिखाया था, जबकि 'कांतारा' इन्हीं चीज़ों को बढ़ावा देने वाली फ़िल्म है.
No point even in comparison. Kantara embraces tradition and celebrates. Tumbbad is nothing like it. Good cinematic experience but nothing to feel good about in Tumbbad at end of it. Kantara makes u happy inside at the end and also proud!! https://t.co/KNSaPHjjy2
— Vishal विशाल 🇮🇳 (@vishalkmumbai) December 3, 2022
तुंबाड को बनाने में 21 साल क्यों लगे
बताया गया है कि फिल्म निर्देशक राही अनिल बार्वे ने साल 1997 में ही इस फिल्म की कहानी पर काम करना शुरू कर दिया था. तब वो सिर्फ 18 साल के थे. 2008 तक उन्होंने पूरी कहानी लिख डाली और प्रोड्यूसर भी खोज लिया. उन्होंने पहले लीड रोल के लिए नवाजुद्दीन सिद्धकी को साइन किया था मगर बाद में प्रोड्यूसर ने इस फिल्म में पैसा लगाने से मना कर दिया और नवाज ने भी फिल्म छोड़ दी. आखिर में 2010 में अनिल ने अपने पैसों से इस फिल्म को बनाने की सोची
बाद में इस फिल्म में सोहम शाह को कास्ट किया गया. इस फिल्म को 120 दिन में कम्प्लीट कर दिया गया. मगर शूटिंग पूरी होने के बाद फिल्म अच्छी नहीं बनी इसी लिए इसकी कहानी पर दोबारा से काम शुरू हुआ और फिर से पूरा शूट किया गया. 2015 में जाकर यह फिल्म फाइनली बन गई और 2016 में रिलीज कर दी गई. तुंबाड में खास बात ये है कि इस फिल्म में VFX का इस्तेमाल बहुत कम हुआ है.
तुंबाड का कलेक्शन
तुंबाड का बजट सिर्फ 5 करोड़ रुपए था. कमाई के मामले में यह फिल्म सुपरहिट थी मगर कलेक्शन सिर्फ 13.57 करोड़ का था. फैंस का कहना है कि अगर ये फिल्म अब जाकर रिलीज होती तो कांतारा से कमाई के मामले में आगे हो जाती
तुंबाड कहां देखें
Where To Watch Tumbbad: आप इस फिल्म को Amazon Prime Videos में देख सकते हैं