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नमस्कार... मैं राजा रबीश कुमार! जानिए सतना के शिवांकित परिहार, कैसे बन गए बॉलीवुड के जाने माने स्टार

TVF Shivankit Singh Parihar
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TVF Shivankit Singh Parihar

विंध्य के सतना जिले में जन्में शिवांकित सिंह परिहार आज बॉलीवुड के जाने माने स्टार बन गए हैं. उन्हें 'राजा रबीश कुमार' के नाम से जाना जाता है. शिवांकित को यूट्यूब चैनल TVF से पहचान मिली थी.

'नमस्कार यूथों का वफादार… मैं राजा रबीश कुमार!' ऐसा टीवी न्यूज़ एंकर और पत्रकार रवीश कुमार नहीं, बल्कि मध्यप्रदेश के विंध्य की माटी सतना में जन्में 'शिवांकित सिंह परिहार' (Shivankit Singh Parihar) कहते हैं. शिवांकित सिंह परिहार अब बॉलीवुड के जाने माने स्टार बन चुके हैं. उन्हें यूट्यूब चैनल TVF के जरिए फेम मिला था.

राजा रबीश कुमार (शिवांकित परिहार) एक्टर बनने की चाह में सतना से मुंबई पहुंचे. मुंबई में अच्छा ख़ासा स्ट्रगल झेलने के बाद शिवांकित आज स्टार बन चुके हैं. उन्होंने अपने स्ट्रगल की कहानी दैनिक भास्कर को बयां की है.

Shivankit Singh Parihar


शिवांकित बताते हैं कि 20 साल की उम्र में मैं गंजा (सिर में बाल कम) हो गए थे. एक्टर बनने की चाह थी. कई ऑडिशंस तो मेरे गंजे होने की वजह से रिजेक्ट होते गए. इस उम्र में गंजे होने से ऐसा महसूस होता था जैसे हम बूढ़े हो गए हो. कॉन्फिडेंस भी कम हो जाता था.

शिवांकित के अनुसार, उन्हें या तो सिर में पूरे बाल पसंद हैं, या तो फिर गंजा ही सही. अब सिर में बाल तो थें नहीं, इसलिए पूरा गंजा ही रहना उन्हें जंचा. लेकिन टैलेंट था इसलिए सिर के बाल आड़े नहीं आए, कुछ परेशानियां झेलनी पड़ी लेकिन कॉन्फिडेंस से आगे बढ़ते गए. इसके साथ ही उन्होंने क्लीन शेव रखना भी शुरू कर दिया.

ऐसा रहा सतना से मुंबई का सफर

माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय से मास कम्युनिकेशन करने के बाद शिवांकित परिहार एक्टर बनने की चाह में 2010-11 में मुंबई पहुंचे. तब तक वे गंजे हो चुके थें. लेकिन उन्हें इंडस्ट्री में काम करना था. गंजे होने की वजह से उन्हें कई सालों तक मौक़ा ही नहीं मिला.

Shivankit Singh Parihar (Raja Rabish Kumar)

2015 में शिवांकित सिंह परिहार ने अपना करियर TVF यानी 'The Viral Fever' नाम के प्लेटफॉर्म से स्टार्ट किया. हाल ही में उन्होंने एक्टर अभिषेक बच्चन की फिल्म दसवीं में काम किया है. शिवांकित ने गुल्लक वेब सीरीज में भी अपनी जानदार आवाज दी है.

शिवांकित बताते हैं कि उन्हें सबसे खराब विज्ञापन इंडस्ट्री लगती है. क्योंकि यहां एक प्रॉपर स्टाइल और लुक चाहिए होता है. गंजा होने की वजह से यहां कोई पूंछ परख नहीं थी. इस वजह से उन्होंने ऐड इंडस्ट्री के लिए ऑडिशन देना ही छोड़ दिया. उनके मुताबिक हम कैमरे पर स्माइल करें, एक्ट करें. यह मेरे लिए संभव नहीं है.

शिवांकित ने दैनिक भास्कर को दिए इंटरव्यू में बताया कि कई सालों तक बिना किसी काम के रूम पर बैठा रहा. मुंबई में ट्रैफिक ज्यादा होने की वजह से ऑडिशन देने के लिए नहीं जाता था, लेकिन मुझे लिखने का शौक पहले से था. रूम पर बैठे-बैठे कुछ अपनी स्क्रिप्ट लिखता था.

Shivankit Singh Parihar


TVF को 10 साल हो चुके हैं. शिवांकित कहते हैं, मैं साढ़े 6 साल से TVF के साथ काम कर रहा हूं. आज जो कुछ भी हूं TVF की वजह से हूं. मैंने यहां बस फन के लिए जॉइन किया था. सोचा था कुछ काम करूंगा. एक्टिंग करूंगा. पता नहीं था, आज यहां पहुंच जाऊंगा. शिवांकित कहते हैं, मुंबई में TVF का एक छोटा सा झोपड़ी टाइप का ऑफिस था. 10-15 लोग काम करते थे. मेहनत का परिणाम है कि आज 300 से 400 लोग काम कर रहे हैं.

TVF में ऑफर मिलने को लेकर वो कहते हैं, एक दोस्त की मदद से यहां पहुंचा. मुझे कुछ लिखने के लिए दिया गया, मैंने लिखा. क्रिएटिव डायरेक्टर को कंटेंट पसंद आ गए. यहीं से मेरी जर्नी शुरू हुई.

शिवांकित परिहार से 'राजा रबीश कुमार' बनने के बारे वो बताते हैं, मुंबई में जर्नलिज्म की पढ़ाई के वक्त जर्नलिस्ट रवीश कुमार की 'रवीश की रिपोर्ट' पसंद करता था. जब TVF आया तो 'राजा रबीश कुमार' का कंसेप्ट आया.

इसके बाद शिवांकित ने 'रबीश की रिपोर्ट' नाम से सटायर कंटेंट बनाने शुरू किए. वो कहते हैं, सिर्फ सटायर रहता तो लोग पसंद नहीं करते. इसलिए यंग जनरेशन की बातों को, फन के जरिए लाने की कोशिश की.

शिवांकित अभी TVF के ही कुछ फिल्म प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं. बॉलीवुड इंडस्ट्री के मुंबई में होने पर भी बीते कुछ सालों से विवाद चलता रहा है. शिवांकित कहते हैं, बॉलीवुड एक हिंदी फिल्म इंडस्ट्री है. अधिकांश फिल्मों की शूटिंग UP, MP, राजस्थान जैसे हिंदी स्पीकिंग बेल्ट में होती है. इंडस्ट्री भी यहीं होनी चाहिए.

बदलते दौर के साथ अब मेनस्ट्रीम मीडियम से इतर OTT (Over The Top) का जमाना आ गया है. इससे गांव-कस्बों से निकले एक्टर को भी एक्टिंग का मौका मिल रहा है. शिवांकित कहते हैं, अब हम हिंदुस्तान की कहानी कह रहे हैं. 'पंचायत' वेब सीरीज यही है.

बॉलीवुड कॉमर्शियल फिल्मों को लेकर शायद उतना मेहनत नहीं करता होगा, इसलिए हम साउथ की फिल्मों जैसा नहीं कर पाते हैं. साउथ इंडस्ट्री एक शॉट के लिए 20 दिनों तक काम करती है, जबकि बॉलीवुड एक्टर शायद उतना वर्क नहीं करते हैं.

OTT के बढ़ते दायरे के बीच केंद्र सरकार सेंसरशिप को लेकर गाइडलाइन ला चुकी है. शिवांकित कहते हैं, कोई एक व्यक्ति यदि एडल्ट स्क्रिप्ट लिख रहा है तो कार्रवाई उस पर होनी चाहिए. रेगुलेशन की जरूरत नहीं है.

भारतीयों की आदत है कि गलती कोई एक करे तो सजा हम पूरे समाज को देते हैं. उदाहरण के लिए कहूं तो मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में यदि किसी एक ने पानी की बोतल फेंकी तो स्टेडियम के भीतर बोतल ले जाने पर ही पाबंदी लगा दी जाती है.

शिवांकित 'राजा रबीश कुमार' से लेकर अमिताभ बच्चन और CM योगी तक के कैरेक्टर को प्ले कर चुके हैं. कॉमेडियन पर हुईं कुछ कार्रवाई को लेकर वो कहते हैं, मैं कई रोल प्ले करता हूं. किसी एक कैरेक्टर को प्ले करना मेरे 100 कामों में से एक काम है. किसी को आपत्ति होती है तो मैं छोड़ देता हूं.

FTII के अलावा शिवांकित ने किसी और एक्टिंग संस्थान में जाना नहीं चाहा. नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा को लेकर वो कहते हैं, साहित्य और नाट्य से हटकर मुझे फिल्म मेकिंग और मुंबई से लगाव था. शिवांकित दिल्ली को लेकर कहते हैं, मुझे ये शहर पसंद नहीं है. यहां पहनावे को लेकर बहुत ज्यादा रिस्ट्रिक्शंस हैं. लोग कपड़ों से जज करते हैं.

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