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बिहार में शैतान चुनाव मैदान में, साधु को पटकनी देने उतरा...

Aaryan Dwivedi
16 Feb 2021 12:04 PM IST
बिहार में शैतान चुनाव मैदान में, साधु को पटकनी देने उतरा...
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बिहार में शैतान चुनाव मैदान में, साधु को पटकनी देने उतरा...मोकामा। बिहार में चुनाव होनें है।सभी अपनी अपनी दाबेदारी जमकर ठोक रहें हैं। बिहार चुनाव

मोकामा। बिहार में चुनाव होनें है। सभी अपनी अपनी दाबेदारी जमकर ठोक रहें हैं। बिहार चुनाव में एक से एक कलाकार चुनाव पर गाने बना कर वोटर्स को जगरूक करने में लगे हैं। ऐसे में दलहन की पैदावार के लिए मुंगेर जिले का मोकामा टाल सबसे ज्यादा उपजाऊ जमीन वाला इलाका माना जाता है।

इस इलाके में जिधर भी नजर डालें, दलहन के खेत ही खेत नजर आते हैं। आबादी वाले इलाके तो इन खेतों के बीच ऐसे दिखाई देते हैं मानो समुद्र के बीच कोई टापू। दलहन की भरपूर पैदावार इस इलाके के लिए वरदान भी है और अभिशाप भी।

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अभिशाप इसलिए कि कमाई वाला इलाका होने की वजह से यहां हमेशा सत्ता-संघर्ष चलता रहता है, जिसमें बाहुबल का भी भरपूर इस्तेमाल होता है। आजादी के बाद से अब तक हुए तमाम विधानसभा चुनावों में यहां से ज्यादातर 'दमदार’ छवि वाला नेता ही चुनाव जीतता रहा है।

पिछले डेढ़ दशक यानी तीन चुनावों से इस क्षेत्र से अनंत सिंह ही विधायक चुने जाते रहे हैं और इस बार भी वे जेल में रहते हुए यहां से उम्मीदवार हैं। ये वही अनंत सिंह हैं, जिनके खौफ के बारे में पूरे बिहार में माना जाता है कि मोकामा टाल इलाके में चिड़िया भी इनकी अनुमति से ही चहचहाती है।

किसी समय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेहद करीबी रहे अनंत सिंह दो बार जनता दल (यू) से विधायक रहे हैं और पिछला चुनाव उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीता था। इस बार वे राष्ट्रीय जनता दल के टिकट पर चुनाव लड रहे हैं।

पिछला चुनाव भी उन्होंने जेल में रहते हुए ही लड़ा था। उन्हें चुनौती देने के लिए नीतीश कुमार ने जनता दल (यू) की ओर से इलाके में संत की छवि रखने वाले और लंबे समय तक भाजपा से जुड़े रहे राजीव लोचन नारायण सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है।

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मोकामा इलाके में अनंत सिंह के बाहुबल की अनंत कथाएं सुनने को मिलती हैं। बेहद गरीब परिवार में जन्मे अनंत सिंह किस तरह अपराध की दुनिया में आए और फिर कैसे राजनीति में सक्रिय हुए, इसको लेकर तरह-तरह के किस्से हैं। कोई उन्हें मसीहा मानता है तो किसी के लिए वे आतंक का दूसरा नाम हैं।

उन पर कई आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं, जिनमें हत्या ओर अपहरण के मामले भी शामिल हैं। वह अभी भी जेल में हैं और राष्ट्रीय जनता दल के टिकट पर उन्होंने अपना नामांकन दाखिल किया है। नामांकन दाखिल करने के लिए कोर्ट ने उन्हें जेल से बाहर जाने की अनुमति दी है।

उनके साथ ही उनकी पत्नी नीलम देवी ने भी मोकामा टोला से नामांकन दाखिल किया है, ताकि अगर किन्हीं कारणों से अनंत सिंह का नामांकन खारिज हो जाए तो उनकी जगह वे चुनाव लड़ सकें। नीलम देवी 2019 में कांग्रेस के टिकट पर मुंगेर से लोकसभा का चुनाव लड़ चुकी हैं, जिसमें उन्हें जनता दल (यू) के ललन सिंह के मुकाबले हार का सामना करना पड़ा था।

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बहरहाल, अनंत सिंह को चुनौती देने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस इलाके में संत की छवि वाले राजीव लोचन नारायण सिंह उर्फ अशोक नारायण को अपनी पार्टी का उम्मीदवार बनाया है। लंबे समय तक भारतीय जनता पार्टी से जुड़े रहे राजीव लोचन मोकामा के सकरवार टोला गांव के रहने वाले हैं।

उनके पिता वेंकटेश नारायण सिंह उर्फ बीनो बाबू पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से बेहद प्रभावित थे। वाजपेयी ने एक बार अपनी मोकामा यात्रा के दौरान रात्रि विश्राम उनके घर पर ही किया था। वैसे बीनो बाबू के रिश्ते नीतीश कुमार से भी उनकी राजनीति के शुरुआती दिनों से ही काफी घनिष्ठ रहे।

मोकामा टोला पहले नीतीश कुमार के संसदीय क्षेत्र बाढ़ के अंतर्गत आता था। 1989 से 2004 तक नीतीश कुमार बाढ से जब-जब भी लोकसभा का चुनाव ल तब-तब बीनो बाबू ने उनकी मदद की। दरअसल, नीतीश कुमार कुर्मी समाज से आते हैं और बाढ़ लोकसभा क्षेत्र में पड़ने वाले मोकामा (अब यह मुंगेर लोकसभा सीट का हिस्सा हो गया है) के कई गांवों में भूमिहारों का दबदबा है।

बीनो बाबू भी भूमिहार बिरादरी के हैं और इलाके में उनके परिवार का बड़ा सम्मान है। उस दौर में जातीय संघर्ष होने के चलते कुर्मी जाति के प्रत्याशी भूमिहारों के इलाके मे जाने से हिचकते थे। ऐसी स्थिति में बीनो बाबू हमेशा साये की तरह नीतीश कुमार के साथ रहकर उन्हें इलाके का दौरा कराते थे।

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बीनो बाबू की ही तरह उनके बेटे राजीव लोचन भी बिल्कुल ही साधु स्वभाव के हैं। इलाके के लोग तो उन्हें आम बोलचाल में साधु बाबा ही कहते हैं। इसी बात को ध्यान में रखकर नीतीश कुमार ने बाहुबली अनंत सिह के सामने साधु छवि वाले राजीव लोचन को मैदान मे उतारा है। अपने पिता बीनो बाबू की ही तरह राजीव लोचन भी हमेशा पर्दे के पीछे रहकर राजनीति में रहे।

वे पिछले करीब 30 साल से भाजपा और नीतीश कुमार के लिए काम करते रहे हैं। हालांकि भाजपा ने उन्हें कभी भी किसी चुनाव में अपना उम्मीदवार नहीं बनाया, लेकिन इस बार नीतीश कुमार ने बाहुबली अनंत सिंह के खिलाफ अप्रत्याशित रूप से उन्हें मैदान में उतारकर इस इलाके में चुनाव को 'साधू और शैतान' की लड़ाई बना दिया है।

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