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एमपी के निशातपुरा में मेमू ट्रेनों की शुरु हुई ओवरहॉलिंग, पहले भेजा जाता था बड़ोदरा
भोपाल के निशातपुरा कोच फैक्ट्री में पहली बार मेमू ट्रेनों की ओवरहॉलिंग का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। जबकि इसके पूर्व यह कार्य बड़ोदरा में होता था। जिसमें एक से डेढ़ माह का वक्त लग जाता था। पीरियॉडिक ओवरहॉलिंग (पीओएच) के बाद यह बड़ोदरा से वापस आता था। कोच फैक्ट्री की मशीनरी में मामूली बदलाव किया गया है। जिससे अब यह मेमू ट्रेनों के ओवरहॉलिंग के लायक बन गया है।
बड़ोदरा जाकर ली ट्रेनिंग
निशातपुरा कोच फैक्ट्री के स्टाफ को मेमू ट्रेनों की आवधिक मरम्मत की ट्रेनिंग के लिए बड़ोदरा भेजा गया था। 50 कर्मचारियों ने यह प्रशिक्षण प्राप्त किया। जिसके बाद यहां पर इस काम की शुरुआत कर दी गई है। यहां उल्लेखनीय है कि रेलवे कोच फैक्ट्री में अब आईसीएफ और एलएचबी के बाद यह तीसरे तरह का रेक है जिसका कर्मचारियों द्वारा मेंटीनेंस कार्य प्रारंभ किया गया है। अधिकारियों की मानें तो मेमू में सेल्फ इंजन कोच होते है। जिसके कारण इसका मेंटेनेंस वंदे भारत एक्सप्रेस की तरह की करना पड़ता है।
यहां दौड़ती हैं मेमू ट्रेन
भोपाल रेल मंडल में भोपाल से बीना के बीच दो और इटारसी से खंडवा के बीच एक मेमू ट्रेन दौड़ती है। जबकि पश्चिम मध्य रेलवे के जबलपुर व कोटा रेल मंडल और आसपास के दूसरे मंडलों से भी ट्रेनें चलकर भोपाल रेल मंडल के बीना, इटारसी व गुना तक आती हैं। जिनके रैक में हमेशा सुधार कार्य निकलते रहते हैं। जिनके लिए पश्चिम मध्य रेलवे व आसपास के जोन में कहीं व्यवस्था नहीं है। बीना में मेमू शेड का निर्माण किया गया जहां रैक को खड़े रखा जा सकता है और मामूली सुधार कार्य किया जाता है। बड़े सुधार कार्य के लिए इन्हें बाहर भेजा जाता था। किंतु बाहर भेजकर सुधार कार्य कराने से उन्हें भेजने से वापस आने तक में लम्बा समय लग जाता था जिससे कई बार मेमू ट्रेन को बंद रखने तक की स्थिति निर्मित हो जाती थी। किन्तु अब निशातपुरा कोच फैक्ट्री में इसका मरम्मतीकरण कार्य किए जाने से ऐसी स्थिति निर्मित हो सकेगी।