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मध्यप्रदेश के लिए गुजरात की तकनीक फायदेमंद, हल्के झटके से ही खेतों से भाग जाएंगे जानवर
खेतों को जानवरों से सुरक्षित रखने के लिए अब ज्यादा राशि खर्च करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। महज 7 से 10 हजार रुपए में सोलर झटका तकनीक का इस्तेमाल कर आसानी से खेतों से जानवरों को भगा सकेंगे। यह तकनीक गुजरात की है जो मध्यप्रदेश के किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। गुजरात के एक युवा ने भोपाल में चल रहे किसान मेले में अपने इस स्टार्टअप को दिखाया।
किसानों की फसलें होंगी सुरक्षित
प्रदेश के किसान आवारा मवेशियों से सबसे ज्यादा परेशान हैं। किसानों द्वारा मेहनत से उगाई गई फसलों को जंगली सूअर, हिरण और नीलगायों के झुंड चट कर जाते हैं। ऐसे में वे सोलर झटका मशीन का इस्तेमाल कर बिजली के हल्के झटके से ही जानवर भगा सकते हैं और अपनी फसलों को सुरक्षित कर सकते हैं। भोपाल में इस स्टार्टअप को किसान मेले में गुजरात के एक युवा ने दिखाया। बताया गया है कि यह स्टार्टअप उनके द्वारा 10 हजार रुपए से प्रारंभ किया गया था अब पांच लाख रुपए तक उनका मंथली टर्न ओवर है।
कैसे काम करती है मशीन
भोपाल में किसान मेले में गुजरात के सोमनाथ जिले के उनाह से आए केतल रानपरिया 23 वर्ष ने अपना स्टॉल लगाया है। जिनके द्वारा सोलर झटका मशीन का डेमो भी दिया जा रहा है। अब तक उनके द्वारा लगभग 10 हजार मशीनें बिक्री भी की जा चुकी हैं। जिसके लिए गुजरात सरकार द्वारा उन्हें लायसेंस भी दिया गया है। केतल की मानें तो खेत के चारों ओर तार फेंसिंग की जाती है और उसमें बैटरी के जरिए करंट दिया जाता है। यह करंट 35 एम्पीयर का होता है। करंट के हल्के झटके से जानवर को भी नुकसान नहीं पहुंचता है। इस दौरान जैसे ही जानवर तारों से टकराता है तो अलार्म बज उठता है। ऐसे में जहां किसान अपनी फसलों को सुरक्षित कर सकता है तो वहीं मवेशियों की जान भी नहीं जाती।
7 से 10 हजार आता है खर्च
गुजरात के केतल की मानें तो इस मशीन को असंेबल करने में 7 से 10 हजार रुपए तक खर्च आता है। जो तार लकड़ी, सीमेंट या लोहे के पोल पर लगाए जा सकते हैं। मशीन में लोहे के तार, 12 वॉट की बैटरी, इतनी ही कैपेसिटी का सोलर पैनल, अलार्म सिस्टम लगा रहता है। सोलर पैनल से ही बैटरी चार्ज होती है। केतल ने बताया कि उनके परिवार में 12 बीघा जमीन है। जिस पर वर्ष भर में दो फसलें उगाई जाती हैं। जानवरों से परेशान होकर इस तकनीक का उपयोग करने की सोची किंतु बाजार में इसकी कीमत 25 हजार रुपए तक थी। जिससे खुद ही मशीन को असंेबल करने की ठानी। इसके बाद उनके द्वारा मशीन बनाई गई जिसमें 5 हजार रुपए से भी कम लागत आई। इसके बाद उन्होंने इसे बिजनेस के तौर पर प्रारंभ कर दिया।