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एमपी भोपाल में तीन सौ से अधिक टीचरों के लिए आफत बन गया मनचाहा ट्रांसफर, तीन माह से नहीं मिल रही सैलरी
एमपी में पहली बार ऐसा हुआ जब एक साथ 24 हजार से अधिक शिक्षकों को उनकी मनचाही जगह पर ट्रांसफर मिला। किंतु अब यह उनके लिए मुसीबत का सबब बनता जा रहा है। भोपाल में मनचाही जगह पर ट्रांसफर किए गए लगभग 3सौ शिक्षक ऐसे हैं जिन्हें तीन माह से सैलरी नहीं मिल पा रही है। जिसके चलते उनको आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
दर-दर की ठोकर खा रहे शिक्षक
मनचाही जगह पर पदस्थ होना शिक्षकों के लिए मुसीबत पैदा कर रहा है। बताया गया है कि ट्रांसफर के दौरान भोपाल में ही 300 से ज्यादा टीचर मनचाही जगह पर पदस्थ किए गए। सीएम राइज और दूसरे स्कूल में ट्रांसफर होकर पदस्थ हुए 121 उच्च माध्यमिक शिक्षक, 148 माध्यमिक शिक्षक और 45 प्राथमिक शिक्षकों को तीन माह से सैलरी के लाले पड़ गए हैं। जिसस लगभग 315 शिक्षकों के परिवारों के सामने आर्थिक समस्या पैदा हो गई है। स्थिति यह हो गई है कि वह पैसों के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को विवश हैं। वेतन न मिलने से शिक्षक होम लोन, बीमा किश्त, बच्चों की ट्यूशन आदि की राशि नहीं चुका पा रहे हैं।
यह बना वजह
शिक्षा विभाग से जुड़े सूत्रों की मानें तो वेतन न मिलने की स्थिति शिक्षा विभाग की विसंगतिपूर्ण शिक्षकों की पदस्थापना एवं स्थानांतरण नीति है। बताया गया है कि राजधानी में पद न होने एवं अतिशेष शिक्षकों की भरमार होने के बावजूद सीएम राइज स्कूल एवं अन्य शालाओं में शिक्षकों को स्थानांतरण के जरिए पदस्थ कर दिया। सीएम राइज स्कूलों में पूर्व से पदस्थ शिक्षकों को भी अन्य शालाओं के रिक्त पदों पर समायोजन नहीं होने के कारण यहां शिक्षकों की भरमार हो गई। जब उक्त शिक्षकों के वेतन बिल आहरण अधिकारियों ने जिला कोषालय में प्रस्तुत किए तो ऑनलाइन पद न होने का हवाला देकर वेतन भुगतान करने से कोषालय द्वारा मना कर दिया गया जिससे ऐसी स्थिति निर्मित हो गई कि शिक्षकों को तीन माह से वेतन ही नहीं मिल पा रहा है।
ऑफलाइन वेतन की भी नहीं मिली अनुमति
कोषालय द्वारा वेतन भुगतान करने से मना करने के बाद शिक्षा विभाग की नींद टूटी। लोक शिक्षण संचालनालय को विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी द्वारा पत्र लिखकर इन 315 शिक्षकों के लिए पदों की मांग की गई। जब तक पद नहीं उपलब्ध हो जाते तब तक ऑफलाइन वेतन भुगतान किए जाने की अनुमति मांगी गई। किन्तु आज तक शिक्षा विभाग द्वारा न तो ऑफलाइन वेतन प्रदान करने की अनुमति दी गई और न ही पद ही उपलब्ध कराए गए। ऐसे में शिक्षकों को आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।