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एमपी के विदिशा से गांजा लेकर आ रहे तीन तस्करों को क्राइम ब्रांच ने किया गिरफ्तार
नशे के अवैध कारोबार पर पुलिस की लाख कोशिशों के बावजूद पूरी तरह अंकुश नहीं लग पा रहा है। नशा कारोबारियों के हौंसले इतने बुलंद हैं कि वह काली कमाई करने बेखौफ इस कारोबार को अंजाम दे रहे हैं। कुछ ऐसा ही मामला विदिशा का प्रकाश में आया है। भोपाल क्राइम ब्रांच द्वारा तीन तस्करों को गिरफ्तार किया गया है जिनके पास से साढ़े चार किलो गांजा पुलिस ने बरामद किया है।
मुखबिर से मिली थी सूचना
एडिशनल डीसीपी शैलेन्द्र सिंह चौहान के मुताबिक मादक पदार्थ की तस्करी को रोकने और इस पर अंकुश लगाने के लिए क्राइम ब्रांच की विशेष टीम गठित की गई है। टीम द्वारा जांच की जा रही थी इसी दौरान मुखबिर से सूचना मिली कि काले रंग की बिना नंबर की कार में मालीखेड़ा विदिशा रोड पर गांजा लेकर तीन लड़के खड़े हैं। जिसकी किसी व्यक्ति को बेचने की संभावना भी जताई गई थी। सूचना मिलते ही क्राइम ब्रांच की टीम जब मालीखेड़ा पात्रा पुल के समीप पहुंची तो काले रंग की कार दिखाई दी। टीम ने जब पास जाकर देखा तो उसमें तीन लड़के बैठे दिखाई दिए।
10 लाख से अधिक कीमत का था गांजा
क्राइम ब्रांच की विशेष टीम द्वारा जब कार की तलाशी ली गई तो उसमें एक बैग मिला। जिसे पूछने पर युवकों द्वारा अपना बताया गया। बैग खोलने पर उसमें 4 किलो ग्राम 500 ग्राम टीम ने बरामद किया। जिसकी अनुमानित कीमत 10 लाख 70 हजार रुपए बताई गई है। पूछताछ के दौरान तस्करों ने अपना नाम जितेन्द्र रघुवंशी पुत्र खिलान सिंह 26 वर्ष निवासी बंटी नगर विदिशा देहात, रोहित साहू पुत्र स्व. सेमलाल साहू 24 वर्ष निवासी उदय नगर थाना विदिशा देहात एवं सुरेन्द्र सेन पुत्र तोरण सेन 18 वर्ष निवासी बंटी नगर थाना विदिशा देहात बताए गए हैं। बताया गया है कि तीनों के खिलाफ भोपाल के थानों में पहले से ही कई मामले पंजीबद्ध हैं।
ट्रेन से लाकर करते थे सप्लाई
क्राइम ब्रांच की टीम द्वारा पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि इसके पूर्व भी वह यहां गांजा की सप्लाई कर चुके हैं। बताया गया है कि वह ट्रेन के माध्यम से गांजा लाते हैं इसके बाद विदिशा में गांजा उतारकर कार के माध्यम से भोपाल लेकर जाते थे। जहां फुटकर ग्राहकों को बेचकर अच्छी खाई कमाई कर वापस चले जाते थे। जबकि इसके पूर्व भी उनके द्वारा गांजा खपाया जा चुका है। पहले वह भोपाल में ही ट्रेन से गांजा उतरते थे किन्तु हाल ही में पुलिस की सख्ती के चलते भोपाल में न उतारकर विदिशा में उतारने लगे थे।