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रेलवे में अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही परंपरा पर ब्रेक, महाप्रबंधक नहीं कर सकेंगे शाही निरीक्षण
रेलवे में अधिकारियों के वीवीआईपी ट्रीटमेंट की व्यवस्था अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही थी, जिस पर अब ब्रेक लग गया है। इस दौरान रेलवे महाप्रबंधक यदि कहीं निरीक्षण के लिए जाते थे तो उनके दौरे के लिए विशेष सैलून चलाई जाती थी। उनके लिए रेड कारपेट भी बिछाने के साथ ही अर्दली उनकी जी हुजूरी करते थे। किन्तु अब ऐसा नहीं हो पाएगा। रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने इन तौर तरीकों पर विराम लगा दिया है।
रेल में सामान्य यात्री की तरह करेंगे सफर
रेलवे के बड़े अधिकारी जहां भी निरीक्षण पर जाते हैं तो उनके स्वागत के लिए रेड कारपेट बिछाने के साथ ही अर्दली खातिरदारी करते हैं। इसके साथ ही वहां पर साज सज्जा भी की जाती है। हाल ही में रेल मंत्री ने इस व्यवस्था पर नाराजगी जताते हुए अफसरों को इन व्यवस्थाओं को भूलने की नसीहत दी है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने स्वागत के तौर तरीके बंद करा दिए हैं। ऐसे में निरीक्षण के दौरान इन्हें न तो विशेष सैलून मिलेगा और न ही स्वागत हो सकेगा। निरीक्षण में अब वह वीआईपी नहीं रह जाएंगे। रेलवे महाप्रबंधक भी सामान्य रेल यात्री की तरह ही सफर करेंगे। उनके लिए स्पेशल सैलून की व्यवस्था नहीं होगी।
नहीं रहेगी रेलकर्मियों की फौज
महाप्रबंधकों के राजशाही तरीके से होने वाले सालाना निरीक्षणों को रेल मंत्रालय ने बंद कर दिया है। अब देश भर के सभी 17 जोन के जनरल मैनेजर को अन्य अफसरों की तरह ही निरीक्षण करना पड़ेगा। इस दौरान जीएम को न तो स्पेशल ट्रेन का सफर मिलेगा और न ही आवभगत में 100 से ज्यादा रेलकर्मियों की फौज रहेगी। रेलवे बोर्ड के डायरेक्टर कुलदीप सिंह ने इस संबंध में आदेश भी जारी कर दिए हैं।
स्पेशल ट्रेन में चलते हैं जीएम
रेलवे में महाप्रबंधक के पास सबसे अधिक अधिकार होने के कारण जब भी निरीक्षण पर निकलते हैं तो उनके लिए स्पेशल ट्रेन तैयार की जाती थी। जिसमें अधिकारियों की भी ड्यूटी लगाई जाती थी। जिनके द्वारा महाप्रबंधक की सुविधाओं और जरूरतों को ध्यान में रखा जाता था। इसके साथ ही रेलवे स्टेशन पहुंचने पर अर्दलियों की भी ड्यूटी लगाई जाती थी। देश के रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस पर सख्त नाराजगी जताते हुए इसे खत्म करने के निर्देश दिए। रेल मंत्री के इस निर्देश के बाद अब रेलवे बोर्ड द्वारा आदेश जारी कर दिए गए हैं कि किसी भी तरह की वीवीआईपी व्यवस्थाएं नहीं होनी चाहिए। जिससे दशकों से चली आ रही यह पुरानी व्यवस्था समाप्त हो गई है।