भोपाल

Bhopal Agniveer Recruitment 2022: अग्निवीर भर्ती दौड़ से पहले एनर्जी ड्रिंक ली, दोनों सगे भाइयों की मौत हो गई

Sanjay Patel
11 Nov 2022 5:08 PM IST
Bhopal Agniveer Recruitment 2022: अग्निवीर भर्ती दौड़ से पहले एनर्जी ड्रिंक ली, दोनों सगे भाइयों की मौत हो गई
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अग्निवीर भर्ती दौड़ में अपना दम-खम दिखाने के लिए युवा तरह-तरह की दवाइयां व शक्तिवर्धक पेय का सहारा ले रहे हैं। यह बात तब सामने आई जब भोपाल में अग्निवीर भर्ती के लिए शारीरिक परीक्षा में शामिल होने आए बैतूल के दो सगे भाइयों की मौत हो गई। मौत के मामले में दोनों भाइयों के सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित होने की बात सामने आई है।

Agniveer Recruitment 2022: अग्निवीर भर्ती दौड़ में अपना दम-खम दिखाने के लिए युवा तरह-तरह की दवाइयां व शक्तिवर्धक पेय का सहारा ले रहे हैं। यह बात तब सामने आई जब भोपाल में अग्निवीर भर्ती के लिए शारीरिक परीक्षा में शामिल होने आए बैतूल के दो सगे भाइयों की मौत हो गई। मौत के मामले में दोनों भाइयों के सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित होने की बात सामने आई है। वहीं यह भी कहा जा रहा है कि दोनों भाइयों ने दौड़ से पहले शक्तिवर्धक पेय या दवा भी ली थी। विशेषज्ञों का कहना है कि सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित व्यक्ति के शरीर के विभिन्न अंग असामान्य रक्त कोशिकाओं के कारण पहले से ही क्षतिग्रस्त रहते हैं। ऐसे में तेज दौड़ने से कई बार इन अंगों में आंतरिक आघात की स्थिति निर्मित हो जाती है।

एनर्जी ड्रिंक का क्या होता है दुष्प्रभाव

Side Effects of Energy Drinks: विशेषज्ञों की मानें तो एनर्जी ड्रिंक में शरीर को तेजी से शक्ति देने के लिए सोडियम की मात्रा अधिक होती है। यह सोडियम शरीर में जाने के बाद लगभग हर अंग से पानी को खींच लेता है। जिसके चलते शरीर में निर्जलीकरण की स्थिति निर्मित हो जाती है। ऐसे में लगातार दौड़ते रहने से आंतरिक अंगों को पानी की ज्यादा जरूरत होती है। ऐसे में शरीर रक्त से पानी लेने लगता है। जिसके चलते रक्त के गाढ़ा होने से स्थिति और बिगड़ जाती है। चिकित्सा विशेषज्ञों की मानें तो ऐसे में दौड़ या किसी कसरत के बाद बेहोश हुए व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाने में देरी उसके लिए जानलेवा साबित हो सकती है।

सिकल सेल एनीमिया क्या है

What is Sickle Cell Anemia: सामान्यतः किसी मानव के रक्त में मौजूद लाल रक्त कोशिकाएं उभयावतल डिस्क के आकार में होती हैं। लेकिन सिकल सेल एनीमिया में लाल रक्त कोशिकाएं अर्धचंद्र या हंसिए के आकार की हो जाती हैं। चिकित्सा विशेषज्ञों की मानें तो सामान्यतः 120 दिनों तक जीवित रहने वाली ऐसी लाल रक्त कोशिकाएं 10 से 20 दिनों में ही मर जाती हैं। वहीं शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण भी सामान्य मनुष्य की तुलना के बराबर होता है। लेकिन रक्त कोशिकाओं के जल्दी मरने से यह शरीर के कुछ अंगों में जमा होने लगती है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति की लाल रक्त कोशिकाएं कठोर और चिपचिपी हो जाती हैं जिसके कारण विभिन्न अंगों में रक्त प्रवाह अवरुद्ध होता है और अंगों में तेज दर्द होता है। तेज दौड़ने और वर्जिश के समय यह आघात बढ़ जाता है। जो घातक भी साबित हो सकता है।

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