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एमपी के भोपाल में एशिया का सबसे बड़ा एटमॉस्फेयरिक रिसर्च सेंटर बनकर तैयार
जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से अब घबराने की जरूरत नहीं है। मौसम का पूर्वानुमान लगाने के लिए भोपाल के राजा भोज एयरपोर्ट से 20 किलोमीटर दूर शीलखेड़ा में एटमॉस्फेयरिक रिसर्च सेंटर बनाया गया है जो बनकर तैयार हो चुका है। बताया गया है कि यह एशिया का सबसे बड़ा सेंटर है। इसकी मदद से पूर्व से ही यह पता चल जाएगा कि बादल कहां से कैसे आएंगे, कहां ओले गिरेंगे और कहां कितना पानी बरसेगा। इतना ही नहीं मौसमी सिस्टम किस रास्ते से आएगा इन सबका पूर्वानुमान लग जाएगा।
अत्याधुनिक तकनीक से लैस है सेंटर
एटमॉस्फेयरिक रिसर्च सेंटर में फिनलैंड से इंपोर्ट कर अत्याधुनिक सी बेड ड्वैल पोलर मैट्रिक रडार और केयू बैंड रडार लगाए गए हैं। जिसकी मदद से वैज्ञानिक यह आसानी से पता लगा सकेंगे कि मानसूनी सिस्टम कहां मौजूद है और उसकी गतिविधियां क्या रहेंगी। इसका हेड क्वार्टर इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेट्रोलॉजी (आईआईटीएम) पुणे रहेगा। बताया गया है कि आईआईटीएम के डायरेक्टर आर कृष्णन द्वारा अपनी टीम के साथ इस संेटर का निरीक्षण भी किया गया। डायरेक्टर की मानें तो इस सेंटर में स्कूल और कॉलेज के विद्यार्थी रिसर्च भी कर सकेंगे। सेंटर की इलेक्ट्रिफिकेशन, इंटरनेट से जुड़ी सुविधाएं पूरी हो गई हैं। ऐसी संभावना जताई गई है कि जल्द ही केन्द्रीय मंत्रियों की मौजूदगी में इसका औपचारिक उद्घाटन भी किया जा सकता है।
हवा का रुख भी हो जाएगा मालूम
बताया गया है कि इस सेंटर में पुणे, बेंगलुरू व कोलकाता सहित देश के कई शहरों के वैज्ञानिक काम कर रहे हैं। आगामी दिनों में कई और शहरों के वैज्ञानिक भी यहां आ सकते हैं। आईआईटीएम के डायरेक्टर की मानें तो इस सेंटर में विंड प्रोफाइलर रडार लगाया गया है। जिसके माध्यम से जमीन से 12 किलोमीटर की ऊंचाई पर वायुमंडल में हवा के रुख का भी पता लगाया जा सकता है। इतना ही नहीं हवा में नमी की भी सटीक जानकारी पता चल सकेगी। मौसम विशेषज्ञों की मानें तो भोपाल के पास सेंटर इसलिए बनाया गया क्योंकि मध्य भारत का यह ऐसा क्षेत्र है जहां से ऊपरी हवा के चक्रवात से लेकर लो प्रेशर एरिया और उसकी ट्रफ लाइन गुजरती है। जिसके चलते मौसत के रुख का पूर्वानुमान लगाने के उद्देश्य से इस सेंटर की स्थापना की गई है।