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एमपी भोपाल में खराब मौसम में भी विमान हो सकेंगे लैंड, सिस्टम अपग्रेड करने की तैयारी
खराब मौसम में विमानों के लैंडिंग की समस्या के साथ ही उनके रूट तक डायवर्ट करने पड़ते हैं। जिससे निपटने के लिए भोपाल के राजाभोज एयरपोर्ट अथारिटी द्वारा तैयारी की जा रही है।दो साल पहले लगाए गए कैटेगरी-1 आइएलएस सिस्टम को अब कैटेगरी-2 आइएलएस सिस्टम में अपग्रेड किया जाएगा। जिससे खराब मौसम में भी आसानी से विमान लैंड किए जा सकेंगे।
वर्ष के अंत तक हो जाएगी स्थापित
कोहरे और कम दृश्यता का प्रभाव विमानों पर पड़ता है। इस समस्या से निजात पाने के लिए राजाभोज एयरपोर्ट अथारिटी इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम को अपग्रेड करने जा रही है। सिस्टम को कैटेगरी-2 आइएलएस में अपग्रेड किया जाएगा। जिसके बाद खराब मौसम का असर विमानों की लैंडिंग पर नहीं पड़ सकेंगे। एयरपोर्ट अथारिटी की मानें तो इसकी स्थापना का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। संभवतः वर्ष के अंत तक इस कार्य को पूरा कर लिया जाए जिससे इस समस्या से निजात मिल जाएगी।
350 मीटर दृश्यता पर लैंड हो सकेंगी उड़ानें
दो वर्ष पूर्व एयरपोर्ट अथारिटी द्वारा रन-वे एंड पर कैटेगरी-1 इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम स्थापित किया गया था। जिसके बाद 800 मीटर दृश्यता होने पर विमान लैंड किए जा सकते हैं। ठण्ड के इस मौसम में कई ऐसे अवसर भी आए जब दृश्यता घट गई। जिसके कारण यहां विमानों के लैंडिंग को लेकर समस्या उत्पन्न हो गई। जिसके कारण उड़ानों को पास के हवाई अड्डों पर डायवर्ट करना पड़ा। किन्तु अब एयरपोर्ट अथारिटी द्वारा कैटेगरी-2 आइएलएस सिस्टम स्थापित किया जा रहा है। जिसके लिए प्रारंभिक कार्य भी शुरू कर दिया गया है। इसके स्थापित होने के बाद 350 मीटर दृश्यता रहने पर भी विमानों को लैंड किया जा सकेगा।
इंटरनेशनल उड़ानों की बाधा हो जाएगी दूर
राजाभोज एयरपोर्ट में सिस्टम अपग्रेड होने के बाद यहां मौसम विभाग के सहयोग से रन वे विजुअल रेंज उपकरण स्थापित किए जाएंगे। जिसकी मदद से कम दृश्यता पर भी पायलटों को रनवे सतह दूर से ही दिख जाती है। एयरपोर्ट अथारिटी द्वारा कैटेगरी-2 आइएलएस सिस्टम स्थापित करने के साथ ही अंतरराष्ट्रीय उड़ानें प्रारंभ होने की एक और बाधा दूर हो जाएगी। हालांकि दिल्ली, मुंबई एवं कोलकाता आदि महानगरीय हवाई अड्डे कैटेगरी-3 आइएलएस सिस्टम से लैस हैं जिनकी मदद से 50 मीटर दृश्यता में भी विमान लैंड किए जा सकते हैं। भविष्य में यदि यहां भी इंटरनेशनल उड़ानों की संख्या बढ़ी तो इस सिस्टम को भी अपग्रेड किया जाएगा।