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शिक्षक चाहते थें उनका शरीर मृत्यु के बाद छात्रों के काम आए, बेटों ने मेडिकल कॉलेज को दान किया
परिजनों ने उनकी इच्छा अनुसार दान किया शरीर
रीवा. रीवा के एक शिक्षक की इच्छा थी कि वह मरने के बाद भी छात्रों की पढ़ाई के काम आए. उनकी इच्छा को बेटों ने पूरा किया. रिटायरमेंट के बाद भोपाल गए थे. वहां अंतिम सांसे ली. बेटों ने मेडिकल कॉलेज को उनकी इच्छा के अनुसार शरीर दान कर दिया. अब भोपाल मेडिकल कॉलेज के छात्र उनकी देह से सीख सकेंगे.
मिली जानकारी के अनुसार स्वामी शरण शुक्ल पिता राम सुंदर शुक्ल निवासी जमुहरा थाना नईगढ़ी 85 वर्षीय ने भोपाल में अंतिम सांस ली. श्री शुक्ल एक आदर्शवादी शिक्षक थे. उन्होंने निश्वार्थ भाव से शिक्षा को सेवा के रूप में समाज को समर्पित किया था. उन्होंने अपना शरीर भी चिकित्सा विज्ञान शिक्षा को दान करने का मन बना लिया था. मरने के बाद ऐसा ही किया गया.
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26 जुलाई को उन्होंने शाम 6 बजे अंतिम सांस भोपाल में ही ली. उनकी अंतिम इच्दा के अनुसार उनके बेटों ने भोपाल में ही महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज को पार्थिक शरीर दान कर दिया. श्री शुक्ल ने रीवा में सेवाएं दी.
शिक्षक से प्राचार्य बने और रिटायर हो गए थे. वह जब तक जिंदा रहे तब तक छात्रों को पढ़ाते और सिखाते रहे. वह चाहते थे कि मरने के बाद भी वह दूसरों को शिक्षा देते रहे. यही वजह है कि वह अपने पीछे पार्थिव शरीर छोड़कर जाना चाहते थे, जिनसे भविष्य के डाटर कुछ सीख सकें. पार्थिव शरीर दान देने के बाद अब उनका परिवार ग्राम जमुहरा में सांकेतिक अंतिम संस्कार करेगा.
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