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एमपी के छोटे जिलों में 50 प्रतिशत डॉक्टर नहीं, बड़े जिलों में स्वीकृत पद से डेढ़ गुना ज्यादा पदस्थ
मध्यप्रदेश के जिलों में चिकित्सकों की विसंगतिपूर्ण पदस्थापना के कारण मरीजों को लाभ नहीं मिल पा रहा है। छोटे जिलों के अस्पतालों की बात की जाए तो यहां स्वीकृत पद के अनुसार 50 प्रतिशत डॉक्टर नहीं हैं। जबकि बड़े जिलों की स्थिति इसके उलट है। यहां स्वीकृत पद से डेढ़ गुना ज्यादा डॉक्टर पदस्थ हैं। जिसके कारण छोटे जिलों के अस्पतालों में न तो मरीजों को समय पर उपचार मिल पाता और न ही स्वास्थ्य सेवाएं ही बेहतर ढंग से मुहैया हो पाती हैं।
छोटे जिलों में नहीं जाना चाहते डॉक्टर
छोटे और पिछड़े जिलों में डॉक्टर नहीं जाना चाहते। इस कारण यहां पर स्वीकृत पदों से 50 प्रतिशत से भी कम डॉक्टर हैं। मंडला और मंदसौर की बात की जाए तो यहां स्वीकृत पद से 28 प्रतिशत डॉक्टर पदस्थ हैं जबकि झाबुआ में केवल 35 प्रतिशत ही विशषज्ञों की पदस्थापना है। जबकि भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर जैसे बड़े शहरों में स्वीकृत पद से डेढ़ गुना से ज्यादा डॉक्टर पदस्थ हैं। सूत्रों का कहना है कि बड़े शहरों में पदस्थापना के पीछे जो वजह मानी जा रही है वह निजी प्रैक्टिस और बच्चों की पढ़ाई है। जिससे उनकी दिलचस्पी छोटे जिलों की ओर कम है।
यहां स्वीकृत पद से ज्यादा डॉक्टर पदस्थ
बड़े शहरों के अस्पतालों में स्वीकृत पद पहले से ही भरे हुए थे। लोक सेवा आयोग से नई नियुक्तियां होने के बाद भी डॉक्टरों को ग्रामीण क्षेत्रों के अस्पतालों या छोटे जिलों में पदस्थ करने की बजाय बड़े शहरों के अस्पतालों में पदस्थ किया गया जिससे बड़े शहरों में स्वीकृत पद से ज्यादा डॉक्टर पदस्थ हो गए। भोपाल में स्वीकृत पद से 56 प्रतिशत ज्यादा विशेषज्ञ और 62 प्रतिशत अधिक चिकित्सा अधिकारी पदस्थ हैं। जबकि ग्वालियर में विशेषज्ञ 59 प्रतिशत व चिकित्सा अधिकारी 94 प्रतिशत, इंदौर में चिकित्सा अधिकारी 86 प्रतिशत अधिक तो विशेषज्ञ 18 प्रतिशत ज्यादा पदस्थ हैं।
यहां कम पदस्थ हैं विशेषज्ञ
स्थिति यह है कि छोटे जिलों में डॉक्टरों की कमी बनी हुई है जिससे यहां पहुंचने वाले मरीजों को इलाज में बेहद परेशानियों का सामना करना पड़ता है। स्वीकृत पद के 50 प्रतिशत से भी कम डॉक्टर यहां पदस्थ हैं। जिससे मरीज इधर-उधर भटकने को मजबूर हो रहे हैं। प्रदेश के आगर मालवा, सीधी, डिंडौरी, छिंदवाड़ा, बैतूल, राजगढ़, अनूपपुर, सिंगरौली, पन्ना, उमरिया, सिवनी आदि जिलों में विशेषज्ञों की कमी बनी हुई है। इस संबंध में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी का कहना है कि विशेषज्ञों की सीधी भर्ती की जा रही है। 87 स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ मिल गए हैं। अन्य पदों के लिए साक्षात्कार की प्रक्रिया चल रही है। जिनकी पदस्थापना विशेषज्ञ विहीन व प्रदेश के छोटे अस्पतालों में की जाएगी।