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एमपी के भिंड का बेटा एशियन घुड़सवारी गेम्स ट्रायल के पहले राउंड में क्वालीफाई
एशियन गेम्स के लिए दिल्ली में घुड़सवारी के ट्रायल का आयोजन किया गया। जिसमें राजू सिंह पहले राउंड में क्वालीफाई करके मध्यप्रदेश घुड़सवारी अकादमी के पहले खिलाड़ी बन गए हैं। राजू सिंह भिंड के निवासी हैं जिनके पिता किसान हैं। राजू अब दूसरे और तीसरे राउंड के ट्रायल में शामिल होंगे। जिसमें यदि वह क्वालीफाई हो जाते हैं तो वह एशियन गेम्स में खेलने वाले मध्यप्रदेश घुड़सवारी अकेदमी भोपाल के पहले खिलाड़ी बन जाएंगे। राजू जयपुर में दूसरे और बेंगलुरू में तीसरे राउंड के ट्रायल में शामिल होंगे।
चार खिलाड़ियों का होता है चयन
एशियन गेम्स के लिए देश भर के केवल 4 खिलाड़ियों का चयन किया जाता है। पहले राउंड में राजू सिंह क्वालीफाई हुए हैं। राजू ने महज 6 साल की घोड़ी की घुड़सवारी कर यह करिश्मा कर दिखाया। राजू की मानें तो इसके लिए उनके द्वारा काफी मेहनत की गई। मध्यप्रदेश घुड़सवारी अकादमी के कोच ने उनका काफी सपोर्ट किया। एडवांस कोचिंग के लिए उन्हें बाहर भेजा गया। महज 6 साल की घोड़ी उनके कोच की है। एक साल पहले ही उसे बुलाई गई है। पहले राउंड के ट्रायल में क्वालीफाई होने के बाद राजू का कहना है कि अभी उन्हें दो चरणों के ट्रायलों से और गुजरना है। अगर इसमें वह कामयाब हो जाते हैं तो मध्यप्रदेश घुड़सवारी अकेदमी के वह पहले ऐसे खिलाड़ी बन जाएंगे जो एशियन गेम्स में हिस्सा ले सकेंगे।
घोड़ी पर हर महीने 60 हजार आता है खर्च
इतनी कम उम्र में कोई भी घोड़ा या घोड़ी इस तरह के इवेंट में नहीं ले पाती है। राजू की मानें तो इवेंट में हिस्सा लेने के लिए इनका खासा ख्याल रखना होता है। हैंडलर से लेकर उसके खाने-पीने में हर माह लगभग 60 हजार रुपए खर्च होते हैं। राजू के अनुसार घुड़सवारी का खेल बहुत महंगा और टफ होता है। किन्तु अकादमी और कोच के सहयोग से आज वह प्रथम राउण्ड के ट्रायल में क्वालीफाई कर पाए हैं। राजू की मानें तो घुड़सवारी ही एकमात्र ऐसा खेल है जिसमें महिला-पुरुष के लिए अलग-अलग इवेंट नहीं होते हैं।