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ज्योतिरादित्य सिंधिया का मध्यप्रदेश भाजपा में बढ़ रहा रुतबा, राजमाता विजयाराजे सिंधिया के नक़्शे कदम पर ज्योतिरादित्य, जब राजमाता की फाइल पर मचा था बवाल
मध्य प्रदेश में इतिहास खुद को दोहरा रहा है। करीब 52 वर्ष पहले द्वारिका प्रसाद मिश्र की कांग्रेसी सरकार गिराने के बाद राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने गोविंद नारायण सिंह की सरकार में जिस तरह अपना असर कायम किया, अब शिवराज सरकार में वही असर राजामाता के पौत्र व पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का दिखने लगा है। शुरुआत सिंधिया के पसंदीदा अफसर की तैनाती से हुई है और यह संकेत हैं कि उनके इलाकों में उनकी मर्जी के ही अफसर तैनात होंगे।
कमल नाथ ने सिंधिया से तकरार बढ़ने के बाद उनके चहेते अफसर ग्वालियर नगर निगम के आयुक्त संदीप माकिन को हटा दिया था। शिवराज सरकार ने संदीप को फिर ग्वालियर में ही तैनाती दे दी है। इसके अलावा सिंधिया के खिलाफ चल रही आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) जांच का नेतृत्व करने वाले प्रभारी डीजी सुशोभन बनर्जी को भी हटाकर साइड लाइन करते हुए सागर भेज दिया गया है।
राजमाता की फाइल पर मचा था बवाल
राजामाता विजयाराजे सिंधिया ने जब 1967 में डीपी मिश्र की सरकार गिराकर गोविंद नारायण सिंह को मुख्यमंत्री बनवाया, तब सरकार में उनके दूत के रूप में सरदार आंग्रे पैरवी करते थे। गोविंद सिंह राजमाता की सभी बातें मानते थे, लेकिन इस बीच सरदार आंग्रे का भी हस्तक्षेप बढ़ने लगा और वह मनमानी करने लगे। इससे गोविंद सिंह खफा रहने लगे। एक बार राजमाता की फाइल पर गोविंद नारायण ने लिख दिया- ऐसी की तैसी। इसके बाद जबर्दस्त हंगामा मचा। चर्चा होने लगी कि मुख्यमंत्री ने राजमाता के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। बाद में गोविंद नारायण सिंह ने राजमाता को सफाई दी कि मेरे लिखने का मतलब - यथा प्रस्तावित है।