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विंध्य : मंत्री व विधानसभा अध्यक्ष के लिए साइलेंट व जुबानी राजनीति का चल रहा खेल
रीवा। मध्यप्रदेश सरकार में जगह पाने के लिए नेता बेताब हैं। कोई जुबानी तो कोई साइलेंट राजनीति चला रहा है। इसी बीच मंत्री बिसाहूलाल सिंह ने बीते दिवस एक बयान में कहा कि विधानसभा अध्यक्ष विंध्य से होना चाहिए। उनके बयान के बाद राजनीतिक गलियारे में हलचल शुरू हो गई है। लोग तरह-तरह के मायने निकाल रहे हैं।
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अब सवाल यह है कि मध्यप्रदेश मंत्रिमंडल में जगह कम है और दावेदार काफी अधिक हैं। मंत्री बनने की कतार में राजेंद्र शुक्ल शामिल हैं, तो विधानसभा अध्यक्ष के लिए केदारनाथ शुक्ल और नागेंद्र सिंह नागौद का नाम चल रहा है। इसी तरह उपाध्यक्ष के लिए गिरीश गौतम का नाम आ रहा है। यदि मंत्री पद राजेंद्र शुक्ल को मिल गया तो फिर विधानसभा अध्यक्ष विंध्य से होना मुश्किल है और यदि विधानसभा अध्यक्ष विंध्य से होगा तो मंत्री पद नहीं मिलेगा। भाजपा के वरिष्ठ नेता भी पशोपेश में हैं कि आखिर क्या किया जाय?
मंत्री के बयान के मायने
आखिरकार मंत्री बिसाहूलाल सिंह के विंध्य से विधानसभा अध्यक्ष बनाने वाले बयान के क्या मायने हैं? वह सचमुच में विंध्य के सम्मान के पक्षधर हैं अथवा अपने समकक्ष अब कोई दूसरा मंत्री विंध्य से उन्हें मंजूर नहीं है। मंत्री की रेस में यदि कोई है तो वह राजेंद्र शुक्ल ही हैं। ऐसी स्थिति में हम क्या समझें। मंत्री विंध्य के गौरव की बात रहे हैं अथवा उनके बयान में कहीं पर निगाहें कहीं पर निशाना है।
बिसाहूलाल की व्यक्तिगत राय: राजेंद्र शुक्ल
मंत्री बिसाहूलाल सिंह के बयान पर राजेंद्र शुक्ल ने कहा कि वह वरिष्ठ नेता हैं। यह उनकी व्यक्तिगत राय है। उन्होंने कहा कि पार्टी में कोई निर्णय वरिष्ठ नेता करते हैं। पार्टी हर पहलू पर विचार करती है।
राजेंद्र शुक्ल ने कहा कि बिसाहूलाल सिंह जी का बयान है, इस संबंध में विस्तार से वही बता सकते हैं उनका क्या मकसद है। पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ल ने कहा कि मंत्रिमंडल विस्तार मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है और वह संगठन से चर्चा कर निर्णय लेते हैं। उन्होंने रीवा से मंत्री न बनाए जाने के सवाल पर कहा कि इससे रीवा के विकास पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।