Tasmanian Tiger Resurrection: 100 साल पहले विलुप्त हो चुके तस्मानियाई बाघ को ज़िंदा करेंगे वैज्ञानिक
Tasmanian Tiger Resurrection: आखिरी तस्मानियाई बाघ (Tasmanian Tiger) 1936 में मर गया था
Tasmanian Tiger Resurrect: दुनिया में बाघों की कई प्रजाति हुआ करती थीं. कुछ वक़्त के साथ खत्म हो गईं तो कुछ का हम इंसानों ने वजूद खत्म कर दिया। ऐसी ही बाघ की एक प्रजाति हुआ करती थी जिसका नाम 'तस्मानियाई बाघ' हुआ करता था. दुनिया इस प्रजाति के बाघ को Tasmanian Tiger के नाम से जानती है. आखिरी Tasmanian Tiger की मौत 1936 में हो गई थी. उसके बाद किसी भी देश में किसी भी व्यक्ति ने दोबारा Tasmanian Tiger को नहीं देखा।
अब वैज्ञानिक Tasmanian Tiger को वापस इस दुनिया में लाने की कवायद में जुट गए हैं. एक विलुप्त हो चुके मांसाहारी जीव को वापस वजूद में लाया जा रहा है. वैज्ञानिकों के लिए ऐसा करना कोई पहला काम नहीं है. बल्कि जीव वैज्ञानिकों ने इससे पहले कई प्रकार के मवशियों और मछलियों की विलुप्त हो चुकि प्रजाति को वापस से वजूद में लाने का सफल एक्सपेरिमेंट किया है.
Tasmanian Tiger को Thylacine कहा जाता है जो ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में पाया जाता था. लेकिन इस अनोखे बाघ का इतना शिकार हुआ कि यह इस दुनिया से पूरी तरह गायब हो गया.
Tasmanian Tiger को वापस कैसे वजूद में लाया जाएगा
How Scientist Will Bring Tasmanian Tiger Back Into Existence: किसी विलुप्त हो चुके जीव को वापस वजूद में लाने के लिए उसका जेनेटिक्स होना ज़रूरी है. 1936 में जिस आखिरी Tasmanian Tiger की मौत हुई थी उसका DNA वैज्ञानिकों के पास सुरक्षित है.
Ben Lamm जो Colossal Biosciences के फाउंडर हैं उनके साथ Harvard Medical School geneticist George Church मिलकर इस प्रोजेक्ट में काम कर रहे हैं. जिनका लक्ष्य Tasmanian Tiger को वापस वजूद में लाना है.
आखिरी Tasmanian Tiger की मौत कैसे हुई (Last Tasmanian Tiger)
Tasmanian Tiger एक मांसाहारी जीव था, यह आकर में किसी सियार जैसा था इसी लिए इंसानों के लिए कोई खतरा नहीं था. पिछले 2000 साल से इंसान इसका इस्तेमाल एक पालतू जानवर के रूप में करते थे, बड़े पैमाने में इसका शिकार भी हुआ. लोगों ने इसकी खाल का व्यापार करना शुरू कर दिया। अखीरी Tasmanian Tiger का नाम Benjamin था जो 1936 में तस्मानिया के Beaumaris Zoo Hobart में एक पिंजरे में कैद था. लेकिन प्रजाति को बचाने के लिए उसकी ब्रीडिंग नहीं हो पाई क्योंकि वह दुनिया का अखीरी प्रजाति का Thylacine था.