रीवा में साल 1618 से स्थापित है चारों धाम के देवता, बना हुआ है सभी का मंदिर, दूर-दूर से आते हैं लोग
Rewa Laxman Bagh Temple History: रीवा शहर मुख्यालय से 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित लक्ष्मण बाग संस्थान अपनी प्रसिद्धि के लिए रीवा ही नहीं पूरे देश में जाना जाता है।
रीवा शहर मुख्यालय से 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित लक्ष्मण बाग संस्थान अपनी प्रसिद्धि के लिए रीवा ही नहीं पूरे देश में जाना जाता है। एक ओर जहां रीवा लक्ष्मणबाग संस्थान में चार प्रमुख तीर्थों के मंदिर बने हुए हैं। प्रमुख तीर्थ स्थलों के देवी देवता विद्यमान है। वहीं लक्ष्मण बाग रीवा संस्थान के मंदिर देश के प्रमुख तीर्थ स्थलों पर बने हुए हैं। ऐसे आवश्यकता सिर्फ इस बात की है इतने बड़े लक्ष्मण बाग संस्थान की देखरेख जो अब प्रशासन के पास है बेहतर ढंग से की जाए तो आज भी लक्ष्मण बाग संस्थान एक बार फिर अपने पुराने महत्त्व को प्राप्त करेगा। आइए लक्ष्मण बाग संस्थान के बारे में जानकारी प्राप्त करें।
कहां स्थापित है लक्ष्मण बाग संस्थान
रीवा जिला तथा संभागीय मुख्यालय है। मुख्यालय से करीब 2 से 3 किलोमीटर की दूरी पर बिछिया नदी के किनारे लक्ष्मण बाग संस्थान बना हुआ है। मंदिर के तीन ओर बिछिया नदी है। ऐसा लगता है मानों बिछिया नदी लक्ष्मण संस्थान की परीक्रमा कर रही हो। संस्थान का मुख्यालय भी रीवा लक्ष्मण बाग है। लक्ष्मण बाग संस्थान इतना मनोरम है कि अगर इसे सरकार विकसित करे तो केवल रीवा के मुख्य मंदिर के आसपास से हर महीने लाखों करोड़ों रुपए की कमाई की जा सकती है।
धार्मिक आयोजन केंद्र बने
लक्ष्मण बाग संस्थान मंदिर के आसपास सैकड़ों एकड़ की जमीन बेकार पड़ी हुई है। अगर यहां धार्मिक आयोजन केंद्र के रूप में विकसित किया जाए। रीवा शहर में होने वाली भीड़ भाड़ और धार्मिक आयोजनों का स्थान लक्ष्मण बाग निर्धारित कर दिया जाए तो मंदिर की आय भी बढ़ेगी साथ में इस 300 वर्ष पुराने मंदिर का नाम फिर से ख्याति प्राप्त करेगा।
बघेल राजवंश ने करवाई थी स्थापना
लक्ष्मण बाग संस्थान बघेल राजवंश ने अपनी राजधानी बनाने के संस्थान की स्थापना करवाई गई। बाद में बघेल राजवंश के द्वारा ही लक्ष्मण बाग संस्थान का समय-समय पर विकसित किया गया। लक्ष्मण बाग संस्थान की आय कभी कम न हो इसके लिए एक ओर जहां राजाओं ने भूमि दान दिया था। वही सेठ तथा अन्य भक्तों ने अपनी मन्नत पूरी होने पर लक्ष्मण बाग संस्थान को भूमि दान में दिया था।
क्यों स्थापित करवाए गये चारें धाम के देवता
यहां के राजा को यह एहसास हुआ कि हमारे राज्य की गरीब जनता देश के अलग-अलग कोने में स्थापित चारों धाम के देवी देवताओं का दर्शन नहीं कर पाएगी। संसाधनों की कमी थी इसलिए चारों धाम के देवी देवताओं के विग्रह स्वरूप लाकर लक्ष्मण बाग संस्थान में स्थापित करवाया गया। लक्ष्मण बाग संस्थान की स्थापना 1618 ईसवी मे करवाई गई। आज भी वह भव्य मंदिर यहां मौजूद हैं।
कैसे पड़ा लक्ष्मण बाग नाम
संस्थान का नाम लक्ष्मण बाग कैसे पड़ा इसके संबंध में भी एक रोचक जानकारी है। ज्ञात हो कि रीवा राजघराने के आराध्य देव भगवान लक्ष्मण जी हैं। इसलिए रीवा राजघराने ने इस संस्थान का नाम लक्ष्मणबाग रखा। लक्ष्मण बाग संस्थान बनने के बाद बताते हैं कि रीवा राज्य के बाहर से भी लोग चारों धाम के देवी देवताओं का दर्शन पूजन करने आते थे।
संचालित था संस्कृत विद्यालय
एक जमाना था कि रीवा लक्ष्मण बाग का नाम काफी ऊंचाइयों पर था। लक्ष्मण बाग संस्थान में संस्कृत विद्यालय का संचालन हुआ करता था। दूरदराज से बच्चे यहां संस्कृत पढ़ने के लिए आते हैं। लेकिन आज उपेक्षा की वजह से वह सब संस्थान बंद हो चुके हैं। बाहर से आने वाले लोगों को यहां आसरा प्राप्त होता था। लेकिन आज कुछ भी नहीं है।
देश में कहां-कहां है मंदिर
लक्ष्मण बाग संस्थान द्वारा देश के अलग-अलग हिस्सों में मंदिरों की स्थापना करवाई गई है। जब रीवा राजघराने द्वारा लक्ष्मण बाग संस्थान को संचालित किया जाता था उस समय रीवा राज्य के महाराजाओं ने अपने रीवा राजघराने की जनता की सुविधा के लिए देश के हर बड़े तीर्थ स्थलों में जगह जमीन खरीद कर वहां मंदिर का निर्माण करवाया। जिससे तीर्थाटन के लिए जाने वाले लोगों को शहद और सुरक्षित आसरा मिल सके। लेकिन यह भी आज आक्रमण की चपेट में है।
जानकारी के अनुसार प्रमुख रूप से बांदा में राधा मोहन मंदिर, प्रयागराज के दारागंज में रानी मंदिर, राम भजन मंदिर, वृंदावन में सवा मन शालिग्राम मंदिर, गढ़वाल बद्रीनाथ में श्री रामानुज कोटी मंदिर, जगन्नाथपुरी में रीवा क्षेत्र से जगन्नाथ पुरी मंदिर, जोधपुर में बड़ी बघेली, जोधपुर में एक और मंदिर है छोटी बघेली, फतेहपुर में ब्रह्मशिला, हरिद्वार में राजघाट कनखल, इसी तरह छत्रपालगढ़ में, देश की राजधानी दिल्ली में हनुमान जी इंदिरा कुआं, यही देश के अन्य बड़े मंदिर स्थलों में जैसे गया धाम, तिरुपति बालाजी में भी लक्ष्मण बाग संस्थान के मंदिर बने हुए हैं।