Mahashivratri 2024: रीवा में है दुनिया का एकमात्र 'महामृत्युंजय मंदिर', होती है अकाल मृत्यु से रक्षा
Mahashivratri 2024: मध्यप्रदेश के रीवा जिले में दुनिया का एकमात्र शिव मंदिर है, जहां भगवान शिव के मृत्युंजय रूप (Mahamrityunjay Temple in Rewa) की पूजा होती है.
Mahashivratri 2024: कल यानी शुक्रवार 8 मार्च को देश और दुनियाभर में महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा. इस पावन दिन पर रीवा के किले में मौजूद और दुनिया के एकलौते 1001 छिद्रों वाले महामृत्युंजय मंदिर में हजारों की संख्या में श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन के लिए उमड़ेंगे. महाशिवरात्रि पर्व का आगाज आज से हो गया है. जो दो दिनों तक चलेगा. महाशिवरात्रि के दौरान महामृत्युंजय के जाप करने के बड़े फायदे हैं. तो आइये जानते हैं इस अनोखे महामृत्युंजय मंदिर और मंत्र के बारे में...
आपने कभी न कभी किसी परिचित को ज्योतिषी या विद्वान् पंडित द्वारा 'महामृत्युंजय' मंत्र (Mahamrityunjaya Mantra) के जाप की सलाह दिए जाने की बात अवश्य सुनी होगी. आपको ये भी पता होगा कि महामृत्युंजय मंत्र भगवान शिव का ही एक स्वरूप है, जो अकाल मृत्यु व असाध्य रोग नाशक है. परन्तु संसार में भगवान आशुतोष के महामृत्युंजय स्वरूप के प्रतीकात्मक शिवालय दुर्लभ हैं.
मध्यप्रदेश के रीवा जिले में दुनिया का एकमात्र शिव मंदिर है, जहां भगवान शिव के मृत्युंजय रूप (Mahamrityunjay Temple in Rewa) की पूजा होती है. मान्यता है कि यहां शिव आराधना करने से आयु लंबी होती है और आने वाले संकट दूर होते हैं. इस शिवालय का महात्म्य द्वादश ज्योतिर्लिंगों के समतुल्य माना जाता है.
1001 छिद्रों वाले अदभुत श्वेत शिवलिंग हैं विराजमान
रीवा स्थित महामृत्युंजय मंदिर में विराजमान शिवलिंग की बनावट संसार के बाकी अन्य शिवलिंगों से सर्वथा भिन्न है. आपको 1001 छिद्रों वाला शिवलिंग विश्व के किसी भी अन्य मंदिर में देखने को नहीं मिलेगा.
शिवलिंग का रंग आमतौर पर श्वेत रहता है, पर मौसम के साथ इनका रंग कुछ बदल जाता है. शिव पुराण के अनुसार देवाधिदेव महादेव ने महा संजीवनी महामृत्युंजय मंत्र की उत्पत्ति की थी. महादेव ने इस मंत्र का गुप्त रहस्य केवल माता पार्वती को बताया था. यहां भगवान महामृत्युंजय मंत्र के जाप से सभी मनोकामना पूरी होती है. इसी वजह से श्रद्धालु भारत के कोने-कोने से महामृत्युंजय भगवान के दर्शन के लिए यहां आते हैं.
शिव पुराण में मिलता है सफेद शिवलिंग का उल्लेख
कहा जाता है कि महामृत्युजंय मंत्र के जाप से अकाल मृत्यु को टाला जा सकता है और अल्प आयु दीर्घ आयु मे बदल जाती है. महामृत्युंजय मंत्र के जाप से सुख संपत्ति धन-धान्य की प्राप्ति होती है. इस मंदिर में भगवान शिव के रूप में महामृत्युंजय भगवान की अलौकिक शक्ति वाला सफेद शिवलिंग है. महामृत्युजंय मंदिर के निर्माण और मूर्ति स्थापना का कोई लिखित इतिहास नहीं है, लेकिन महामृत्युंजय मंत्र का शिव पुराण में उल्लेख मिलता है.
टल जाता है अकाल मृत्यु का खतरा
माना जाता है कि भगवान महामृत्युंजय के समक्ष महामृत्युंजय मंत्र के जाप से अकाल मृत्यु को भी टाला जा सकता है और अल्पायु दीर्घायु मे बदल जाती है. अज्ञात भय, बाधा और असाध्य रोगों को दूर करने और मनोकामना पूरी करने के लिए यहां मंदिर में नारियल बांधा जाता है और बेल पत्र चढ़ाए जाते हैं.
महामृत्युंजय मंत्र का उल्लेख शिव-पुराण में काफी विस्तार से किया गया है. यहां शिव को कालों का काल महाकाल माना जाता है. महामृत्युंजय की आराधना और मन्त्र जाप के समक्ष यम भी अपना मार्ग बदल दिया करते हैं. यही कारण है कि ज्योतिषी और पंडित बीमार व्यक्तियों को और ग्रहपीड़ा से ग्रसित व्यक्तियों को महामृत्युंजय मंत्र जप करवाने की सलाह देते हैं.
महामृत्युजंय मंत्र पढ़ने और सुनने से मिलता है लाभ
यहां पर ऐसे कई प्रमाण मिले है लोग रोते हुए आते है और मनोकामना पूरी होने के बाद हस्ते हुए यहां से जाते है. महामृत्युजंय भगवान के रूद्राभिषेक, रूद्र-यज्ञ, भजन पूजन से राजभय विद्रोह महामारी रोग व्याधि और असाध्य रोगों से छुटकारा मिलता है. इसके कई उदाहरण देखने को मिलते हैं.
महामृत्युंजय मंत्र हिंदी में (Mahamrityunjaya Mantra in Hindi)
'ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् | उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||'
महामृत्युजंय को 12 ज्योर्तिलिंगो से कम नहीं आंका जा सकता है क्योंकि महामृत्युजंय मंत्र पढ़ने और सुनने से अकाल मृत्यु टल जाती है और मृत्यु भय नहीं रहता.
महामृत्युंजय की कृपा से हुई रीवा रियासत की स्थापना
बघेल राजवंश के 21वें महाराजा विक्रमादित्य देव (वि.सं.1654-1681) ने इस इलाके के पास शिकार के दौरान एक भागते हुए चीतल के पीछे शेर को देखा. राजा यह देखकर हैरत में पड़ गए, जब शेर मंदिर वाले स्थान के पास चीतल के पास आ पहुंचा, तो उसका शिकार किए लौट गया.
आश्चर्यचकित राजा ने उस स्थान पर खुदाई कराई. जिससे गर्भ में महामृत्युंजय भगवान का सफेद शिवलिंग निकला. ज्ञातव्य हो इस सफ़ेद शिवलिंग की चर्चा शिवपुराण में महामृत्युंजय के रूप में की गई है. इसलिए यहां भव्य मंदिर का निर्माण करा शिवलिंग को स्थापित कर दिया गया.
दैवयोग से मंदिर परिसर के बगल में एक अधूरा किला पड़ा हुआ था, जिसे शेरशाह सूरी के पुत्र सलीम शाह के काल का माना जाता है. महाराज विक्रमादित्य ने इसी अधूरे किले की नींव पर भव्य किले का निर्माण कराया और रीवा को विंध्य की राजधानी के रूप में विकसित कर दिया गया.
पिछले 400 से अधिक वर्षों से आज भी यह किला महामृत्युंजय मंदिर के बगल के मौजूद है. कहा जाता है कि महामृत्युंजय भगवान् के आशीर्वाद से रीवा कभी किसी का गुलाम नहीं रहा. न मुगलों के समय में और न ही अंग्रेजों के समय में.