रीवा में चार खूनी घाटियां, आए दिन हो रहे हादसे, फिर भी रोड सेफ्टी ऑडिट नहीं
Rewa MP News: जिले में छुहिया घाटी, मोहनिया घाटी, सोहागी और बरदहा घाटी है। इन घाटियों से होकर प्रमुख हाइवे गुजरते हैं और इनसे हर दूसरे दिन हादसे होते रहते हैं।
Rewa MP News: जिले में छुहिया घाटी, मोहनिया घाटी, सोहागी और बरदहा घाटी है। इन घाटियों से होकर प्रमुख हाइवे गुजरते हैं और इनसे हर दूसरे दिन हादसे होते रहते हैं। यहां होने वाले हादसे जब बड़ा रूप ले लेते हैं तो प्रशासनिक अमल की नींद खुलती है। इसके बाद मुआवजा सहित तत्कालीन कदम उठाकर खानापूर्ति कर दी जाती है। कभी हादसों को रोकने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए जाते। आलम ये है कि इन घाटियों में सड़कां की सेफ्टी ऑडिट तक कभी नहीं कराई जाती। ये सड़के गुजरते हुए वाहनों के सुरक्षा की नजर से कितने बेहतर है। वाहनों की रफ्तार से हादसे हो रहे या सड़क निर्माण में गड़बड़ी के कारण हादसे हो रहे हैं।
छुहिया घाटी का हाल
करीब डेढ़ साल पहले छुहिया घाटी में बड़ी लापरवाही सामने आई थी। हादसे के कारण घाटी में पांच दिनों तक जाम लगा रहा था। बस आदि वाहन डायवर्ट रूट से गुजर रहे थे। इसी दौरान एक बस नहर में समा गई थी। जिसमें 50 से अधिक यात्रियों की मौत हो गई थी। प्रशासन हरकत में आया और घाटी को बंद कर मरम्मत कार्य शुरू किया था। लेकि फिर से छुहिया घाटी बदहाल हो चुकी है। सड़क पर जगह-जगह गड्ढे बन चुके हैं। लगातार हादसे हो रहे और जिम्मेदार आंख मूंद कर बैठे हुए हैं।
सोहागी पहाड़ की स्थिति
सोहागी हादसे की बात की जाए तो सड़क को लेकर बड़ी लापरवाही देखने को मिलती है। सड़क सेफ्टी नार्म के विपरीत दिखती है। अगर यहां से तेज गति में वाहन निकलते हैं तो ऐसा लगता है कि वाहन सड़क से बाहर जा रहे हैं। हादसे की जगह परप बहुत से गड्ढे बने हुए हैं। रेडियम लाइट की संख्या अनुपात से कम नजर आती है।
औपचारिकता में सिमटी बैठक
सड़क सुरक्षा समिति की बैठकों के लिए गए निर्णय बेमानी नजर आते हैं। आलम ये है कि बैठक में बड़ी बाते की जाती है। लेकिन उन पर अमल नहीं किया जाता। जिले भर में नए ब्लैक स्पॉट चिन्हित किए गए हैं। लेकिन इन्हें दूर करने की कवायद नहीं की जाती।
लापरवाह जिम्मेदार
जिले भर में हो रहे हादसों को लेकर कोई भी विभाग गंभीर नजर नहीं आता। अगर निर्माण एजेंसी की बात की जाए तो जिले में प्रमुख रूप से बड़े वाहनों को चलने के लिए हाइवे आदि का निर्माण तीन विभाग प्रमुख रूप से करते हैं। जिसमें एनएचआई, एमपीआरडीसी व पीडब्ल्यूडी विभाग शामिल है। किसी भी हादसे के बाद विभाग के जिम्मेदार सड़क की जांच नहीं करते।