रीवा शहर का बहुचर्चित रॉकी कांड: पुलिस की मारपीट नहीं, हार्ट अटैक से हुई थी अतीक अहमद की मौत; CID ने कोर्ट में पेश किया खात्मा
रीवा शहर के बहुचर्चित रॉकी कांड में 7 साल बाद CID पुलिस ने खात्मा पेश किया है। विवेचना के दौरान पाया गया कि अतीक अहमद उर्फ़ रॉकी की मौत पुलिस की मारपीट से नहीं हुई थी बल्कि हार्ट अटैक की वजह से हालत बिगड़ी थी।
रीवा: रीवा शहर के पूर्व पार्षद अतीक अहमद उर्फ रॉकी की मौत के मामले में CID पुलिस ने न्यायालय में खात्मा रिपोर्ट पेश की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अतीक की मौत हृदय गति रुकने से हुई थी, पुलिस की पिटाई से नहीं।
जानकारी के अनुसार, 13 फरवरी 2016 को अतीक अहमद गुड़हाई बाजार में रहने वाली एक महिला का घर खाली करवाने के लिए अपने साथियों के साथ गए थे। उन्होंने महिला के साथ मारपीट की और उसका सामान बाहर फेंक दिया। सूचना मिलते ही पुलिस बल मौके पर पहुंचा और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आंशिक बल प्रयोग किया। अतीक के खिलाफ लूट सहित विभिन्न धाराओं का प्रकरण पंजीबद्ध कर उन्हें थाने लाया गया।
थाने में अतीक ने सीने में दर्द की शिकायत की। तबीयत खराब होने पर उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां देर रात उनकी मौत हो गई। इस मामले में तत्कालीन थाना प्रभारी शैलेंद्र भार्गव समेत अन्य पुलिस कर्मियों के खिलाफ हत्या का प्रकरण दर्ज किया गया था।
पूर्व पार्षद की मौत के मामले में सीआईडी ने खात्मा रिपोर्ट पेश की
सीआईडी की जांच में पाया गया कि अतीक अहमद के साथ पुलिस ने जो मारपीट की थी, वे चोट साधारण थी। मेडिकोलीगल रिपोर्ट में भी इस बात की पुष्टि हुई है। जांच में धारा 302 का अपराध प्रमाणित नहीं हुआ, बल्कि मारपीट का अपराध 323, 294, 506 34 का अपराध सिद्ध हुआ है।
हालांकि, मारपीट के मामले में विभाग ने पुलिसकर्मियों के खिलाफ अभियोजन की अनुमति नहीं दी। अधिकारियों ने तत्कालीन परिस्थितियों और उस दिन हुई घटना को आधार मानकर यह तर्क दिया है कि पुलिसकर्मी पदेन दायित्व का निर्वहन करते हुए बल का प्रयोग किया था, जिसे अपराध की श्रेणी में नहीं गिना जा सकता। इसके बाद सीआईडी ने दोनों मामलों में खात्मा रिपोर्ट न्यायालय में पेश कर दी है।
शहर में हुआ था बवाल
पुलिस अभिरक्षा में रॉकी की मौत की घटना के बाद पूरे शहर में हिंसक बवाल शुरू हो गया। पुलिस की गाडिय़ों को निशाना बनाकर तोडफ़ोड़ और आगजनी की घटनाएं पूरी रात चलती रही। दूसरे दिन छोटी दरगाह के पास शव को रखकर आक्रोशित लोग प्रकरण पंजीबद्ध करने की मांग पर धरना और पथराव कर रहे थे, जिस पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया था। अंतत: थाना प्रभारी सहित अन्य पुलिस कर्मियों के खिलाफ हत्या का प्रकरण पुलिस ने पंजीबद्ध किया था।
8 के खिलाफ दर्ज हुआ था मामला
इस घटना के बाद पुलिस ने पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का प्रकरण दर्ज किया गया था। इनमें तत्कालीन थाना प्रभारी शैलेंद्र भार्गव के अलावा उपनिरीक्षक श्याम नारायण सिंह, प्रधान आरक्षक महेंद्र पाण्डेय, आरक्षक जय सिंह, एएसआई पारस नाथ दहिया, आरक्षक तनय तिवारी शामिल थे। दो आरोपी जितेंद्र सेन और उपनिरीक्षक रामेंद्र शुक्ला का नाम विवेचना के दौरान हटाया गया था। घटना के समय उनकी उपस्थिति नहीं पाई गई थी। शेष अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ खात्मा रिपोर्ट पेश किया है।
वर्ष 2016 में यह घटना हुई थी जिसमें थाना प्रभारी समेत अन्य पुलिसकर्मियों पर हत्या का प्रकरण पंजीबद्ध हुआ था। पूरे मामले की विवेचना सीआईडी द्वारा की गई। जांच में हत्या का अपराध प्रमाणित नहीं हुआ। मारपीट के तथ्य सामने आए थे जिसमें अभियोजन की अनुमति विभाग से नहीं मिली है। फलस्वरुप इस पूरे मामले में खात्मा रिपोर्ट न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की गई है। - मोहम्मद असलम, डीएसपी सीआईडी