Chachai Waterfall: चचाई वॉटरफॉल में अब वॉटर क्यों नहीं है? रीवा के सिस्टम ने इस खूबसूरत टूरिस्ट प्लेस को वीरान कर दिया
Chachai Waterfall Rewa: जो नेता कहते हैं 'रीवा को टूरिज्म हब बनाएंगे' उनसे पूछना चचाई वाटरफॉल को क्यों बर्बाद होने दिया?
Rewa Chachai Waterfall: जल प्रपातों की रियासत कहलाए जाने वाले रीवा जिले से एक खूबसूरत और रोमांचक जलप्रपात समाप्त हो चुका है. एक जमाना था जब रीवा की पहचान चचाई जलप्रपात (Chachai Waterfalls) हुआ करता था. और आज यह वाटरफॉल अपनी ही पहचान का मोहताज हो गया है. चचाई वाटरफॉल से 'वॉटर' गायब हो गया है. बचा है तो सिर्फ उस पुल का निर्माण, जो 6 साल से अधूरा है.
चचाई जल प्रपात का यह हश्र करने वाला कोई और नहीं रीवा प्रशासन और यहां का सिस्टम है. यही रीवा के टूरिज्म मैप से चचाई को मिटा देने वाला दोषी है. जिसे उसके किए की कोई सज़ा भी नहीं दे सकता। कितने अधिकारी आए और गए, कितने चुनाव हुए, कितनों ने रीवा को टूरिज्म हब बनाने का वादा किया लेकिन कोई भी चचाई जल प्रपात को उसकी खूबसरती लौटा नहीं पाया।
चचाई वॉटरफॉल का वॉटर कहां गया?
जहां कभी धुआंधार पानी 429 फ़ीट नीचे गिरता था वहां आज सिर्फ नगरनिगम के नल कनेक्शन जैसी पानी की धार बहती है. चचाई का पानी गायब होने के पीछे का कारण यहां बना डैम 'बीहर बराज' और 6 साल से रुका ब्रिज का निर्माणकार्य है.
बीहर बराज डैम से पानी तभी छोड़ा जाता है जब बरसात के वक़्त यहां लिमिट से ज़्यादा जल भराव होता है. लेकिन पानी छोड़ने में भी एक मुसीबत खड़ी होती है. क्योंकि यहां जाने के लिए रास्ता ही बंद हो जाता है. पानी छोड़ने से यह रास्ता बंद न हो इसी लिए चचाई में 4 करोड़ की लागत से पुल का निर्माण शुरू किया गया था. जो लगभग 70% बन भी गया था मगर 2017 में इसका काम रुक गया जो आज तक पूरा नहीं हो सका.
बीहर बराज से पानी छोड़ने पर रास्ता नदी बन जाता है
सेमरिया से सिरमौर जाने वाले रास्ते के बीच में ही चचाई वाटरफॉल पड़ता है. जब बारिश होती है तो यह मार्ग बंद हो जाता है क्योंकी रास्ते के बीच से ही बीहर नदी गुजरती है और चचाई वॉटरफॉल में गिरती है. जब डैम से पानी छोड़ा जाता है तो यह मार्ग उफनती नदी में बदल जाता है. इसी लिए यहां ऊंचाई वाला पुल बनाने का काम शुरू किया गया था. ताकी नदी भी बहती रहे, चचाई जल प्रपात में पानी भी पहुंचता रहे और रास्ता भी बंद न हो. लेकिन बीते 6 साल से पुल का निर्माण ही बंद पड़ा है. इसी वजह से डैम से पानी नहीं छोड़ा जाता और चचाई वाटरफॉल में पानी नहीं पहुंचता।
चचाई पुल का निर्माण क्यों अटका है?
4 करोड़ की लागत से बनना शुरू हुए इस पुल का काम जब लगभग पूरा हो गया था तब वन विभाग ने अड़ंगा लगा दिया। फारेस्ट डिपार्टमेंट ने कहा 'जहां पुल बन रहा है वो जमीन वन विभाग की है' पुल बनाने वाले सेतु संभाग ने कहा 'नहीं ये जमीन तो शासकीय है' इन्ही दोनों सरकारी विभागों के बीच के विवाद से पुल का निर्माण रुक गया.
तीन साल बाद कहा 'वन भूमि नहीं है
2017 में पुल का निर्माण वन विभाग के दावे के चलते रुक गया. जबकि पुल का काम सिर्फ दो पिलर डालने तक बचा था. वन विभाग ने पुल निर्माण रुकवाने के तीन साल बाद कहा 'यह वन भूमि नहीं है' मतलब जो जमीन वन भूमि थी ही नहीं उसे लेकर विभाग ने 4 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट को रुकवा दिया।
फिर भी काम शुरू नहीं हुआ
वन विभाग ने जो अड़ंगा लगाया था वो सुलट गया. बावजूद इसके पुल का काम दोबारा से शुरू नहीं हो सका. साल 2017 से जो अधूरा पुल जैसी स्थिति में था वो आज भी वैसा का वैसा ही है. यहां के जनप्रतिनिधि ने कभी इस मुद्दे में खुलकर चर्चा नहीं की और ना ही पुल के काम को आगे बढ़ने के लिए जोर दिया। जिला प्रशासन ने कभी सेतु संभाग को निर्माण शुरू करने के लिए नहीं कहा और न किसी अफसर ने पुछा कि यह प्रोजेक्ट बंद क्यों पड़ा है?
6 साल बीत गए हैं. एक पुल नहीं बनाया जा रहा है. इस लापरवाही के चलते एक बेहद खूबसूरत वॉटरफॉल की खूबसूरती को नष्ट कर दिया गया है. जो नेता रीवा को टूरिज्म हब बनाने की बात करते हैं उनसे यही सवाल है ''चचाई वॉटरफॉल को उसकी खूबसूरती कब वापस मिलेगी?''