African Swine Fever: रीवा में अफ्रीकन स्वाइन फीवर से 12 दिन में 1813 सुअरों की गई जान
MP Rewa News: भोपाल से आई रिपोर्ट के बाद डोर टू डोर सर्वे के लिए टीम गठित की गई।
MP Rewa News: सुअरों की लगातार हो रही मौत ने प्रशासन के साथ ही स्वास्थ्य महकमें की चिंता बढ़ा दी है। रीवा से भोपाल भेजे गए 11 सैंपल में अफ्रीकन स्वाइन फीवर (Swine Fever) की पुष्टि हुई है। इसी कड़ी में रीवा शहर (Rewa District) में 12 दिन के अंदर 1813 सुअरों की मौत हुई है। पशु चिकित्सा विभाग (Pashu Chikitsa Vibhag) का अमला स्वाइन फीवर मानकर (Swine Fever) अभी तक वैक्सीनेशन कर रहा था। भोपाल से आई रिपोर्ट के बाद डोर टू डोर सर्वे कर जानकारी जुटाई जाएगी।
बुलाई गई बैठक
बताया गया है कि शनिवार को पशु चिकित्सा विभाग के उप संचालक डॉ. राजेश मिश्रा द्वारा बैठक बुलाई गई। बैठक में पशुपालन विभाग, नगर निगम एवं वेटरनरी कॉलेज के अधिकारी उपस्थित रहे। बैठक में डोर टू डोर सर्वे के लिए टीम गठित की गई। यह कार्य 24 घंटे के अंदर पूरा करने का टारगेट दिया गया।
यहां हुई सर्वाधिक मौते
शहर में सुअरों की सर्वाधिक मौत वाला क्षेत्र धोबिया टंकी से बिछिया नदी होते हुए नारायण चक्की, पाण्डेन टोला होते हुए वापस धोबिया टंकी वाला है। इसमें वार्ड क्रमांक 28, 29, 38, 40, 41, 42 शामिल है। उल्लेखनीय है कि रानीतालाब और नयातालाब क्षेत्र में बड़ी संख्या में सुअर पालन किया जाता है।
लगाए गए 8 वाहन
नगर निगम द्वारा मृत सुअरों को उठाने के लिए 8 वाहन लगाए गए हैं। प्रतिदिन बड़ी संख्या में सुअरों के मौत की जानकारी सामने आ रही है। 8 अगस्त से मृत सुअरों को उठाने का जो सिलसिला शुरू हुआ, वह लगातार चल रहा है। मृत सुअरों को कुठुलिया क्षेत्र में दफनाया जाएगा। निर्धारित गाइडलाइन के अनुसार प्रभावित क्षेत्र के एक किलोमीटर के दायरे में मौजूद सुअरों की किलिंग की जाती है। कई विभागों द्वारा सर्वे का काम शुरू कर दिया गया है।
विंध्य में पहली बार
इस बीमारी की पहली बार विंध्य में दस्तक हुई है। पशु चिकित्सा विभाग के जानकार बताते हैं कि यह बीमारी असम आदि क्षेत्रों में पाई जाती है। यहां पहली बार यह बीमारी आई है। बीते माह यूपी में भी इस बीमारी ने दस्तक दी थी। माना जा रहा है कि वहीं से यह बीमारी यहां पहुंची है।
इंसानों में असर नहीं
पशु चिकित्सा विभाग के उप संचालक डॉ. राजेश मिश्रा ने बताया कि सुअरों की इस बीमारी से इंसानों को कोई खतरा नहीं है। यह बीमारी में सुअरों में ही फैलती है, इस बीमारी की रोकथाम के लिए जो गाइडलाइन है उसके अनुसार आवश्यक उपाय किए जाएंगे।
जिले में एलर्ट
बीमारी को लेकर जिले भर का अमला एलर्ट हो गया है। जिले भर के पशु चिकित्सालयों की टीम को यह निर्देशित किया गया है कि अपने-अपने क्षेत्रों में नजर बनाकर रखें। जहां से भी बड़ी संख्या में सुअरों के मौत की जानकारी आए, तत्काल अवगत कराए। वन विभाग को भी पत्र लिखा गया है कि वे जंगली क्षेत्रों में सुअरों के बीमार होने या मृत होने पर जानकारी दे।